“मैं हिंदू हूं, मुझे भाजपा से सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं”, ममता बनर्जी ने विधानसभा में किया हमला।
भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी द्वारा टीएमसी सरकार पर हिंदू विरोधी होने का आरोप लगाए जाने के बाद, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पलटवार करते हुए कहा कि “मैं हिंदू हूं, मुझे भाजपा से प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं है।” उन्होंने यह भी कहा कि हिंदुओं की सुरक्षा उनकी और उनकी सरकार की भी जिम्मेदारी है, न सिर्फ भाजपा की।
पश्चिम बंगाल विधानसभा में बुधवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी के बीच तीखी बहस देखने को मिली। यह विवाद विशेष रूप से सुवेंदु अधिकारी द्वारा टीएमसी सरकार और ममता बनर्जी पर हिंदू विरोधी होने का आरोप लगाने के बाद उभरा। अधिकारी के इस आरोप पर ममता बनर्जी ने पलटवार करते हुए भाजपा और उनके नेताओं पर निशाना साधा।
ममता बनर्जी ने विधानसभा में कहा कि “लोकतंत्र स्थायी है, लेकिन कुर्सी स्थायी नहीं है।” उनका यह बयान राज्य में सत्ता के अस्थायी होने और लोकतंत्र के स्थायी होने के महत्व को स्पष्ट करता है। ममता ने कहा कि भाजपा नेताओं को कुर्सी का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि सत्ता का मतलब स्थायित्व नहीं होता। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा के लोग मुस्लिम विधायकों को विधानसभा से बाहर निकालने का विचार कैसे कर सकते हैं, जो कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि वे मुसलमानों को निशाना बना रहे हैं, खासकर रमजान के महीने में। उनका आरोप था कि भाजपा सांप्रदायिक बयान देकर देश के असली मुद्दों, जैसे आर्थिक मंदी और व्यापार के पतन, से लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है। ममता ने भाजपा की इस रणनीति की आलोचना करते हुए कहा कि वे जानबूझकर समाज को बांटने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि जनता के असल मुद्दों से ध्यान हटा सकें।
ममता ने इस अवसर पर यह भी स्पष्ट किया कि “मैं एक हिंदू हूं, और मुझे भाजपा से प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं है।” उनका यह बयान यह दर्शाता है कि उन्होंने अपनी धार्मिक पहचान और विश्वास पर कभी कोई संकोच नहीं किया है। ममता ने हिंदू धर्म की सुरक्षा और भलाई को अपनी जिम्मेदारी बताते हुए कहा कि हिंदुओं की रक्षा करना सिर्फ भाजपा या एक विशेष दल की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह सबकी जिम्मेदारी है, और यह उनकी सरकार की भी जिम्मेदारी है।
इस बहस के दौरान ममता ने विपक्षी पार्टी के आरोपों का जवाब दिया और अपनी सरकार के धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण की रक्षा की। उनका कहना था कि टीएमसी की सरकार हर धर्म के लोगों की समान सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा करती है, और किसी भी धर्म को निशाना नहीं बनाती।
ममता के इस बयान ने विधानसभा में एक गंभीर राजनीतिक बहस को जन्म दिया, जिसमें भाजपा और टीएमसी के बीच राजनीति, धर्म, और लोकतंत्र को लेकर तीखी नोंक-झोंक हुई।