Headline
एचएसआरपी के लिए कतार में लाखों वाहन, मात्र 25 दिन बाकी; शेष वाहनों का रजिस्ट्रेशन कैसे होगा पूरा?
पाकिस्तान पहुंची सुनीता जामगडे मामले में नया मोड़: कारगिल पुलिस को नहीं मिला प्रोडक्शन वॉरंट, अगली हफ्ते फिर करेगी प्रयास
चुनाव से पहले मनपा में तबादलों की बड़ी कार्रवाई, 80 अधिकारियों का तबादला
नागपुर: वाठोडा में बनेगा आधुनिक श्वान आश्रय केंद्र, मनपा ने 6.89 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को दी मंजूरी
लता मंगेशकर उद्यान में बनेगा ‘एडवेंचर पार्क’, NMC ने 8.79 करोड़ की अभिनव परियोजना को दी मंजूरी
शहीद गोवारी फ्लाईओवर पर हाइट बैरियर में अटका फ्यूल टैंकर, पिछली रात लगे अवरोधक हुए क्षतिग्रस्त
भंडारा: बस ने ट्रैक्टर को मारी टक्कर, चालक की मौके पर मौत
डिजिटल मीडिया को मिली सरकारी मान्यता: राज्य सरकार की अधिसूचना से सरकारी विज्ञापनों का रास्ता साफ
बुलढाणा: कोनड में खेत के तालाब में डूबे तीन सगे भाई-बहन, कल से थे लापता, आज पानी में मिले शव

चुनावी पिच पर फेल राज ठाकरे की उद्धव-शिंदे-फडणवीस से मुलाकात बढ़ा रही सियासी गर्मी

चुनावी पिच पर फेल राज ठाकरे की उद्धव-शिंदे-फडणवीस से मुलाकात बढ़ा रही सियासी गर्मी

राज ठाकरे की सियासी मुलाकातों ने बढ़ाई हलचल: फेल हो चुकी मनसे के नेता की रणनीति फिर चर्चा में क्यों?

महाराष्ट्र की राजनीति में कभी तेज़ी से उभरे नाम रहे राज ठाकरे एक बार फिर सुर्खियों में हैं—लेकिन इस बार वजह है उनकी हालिया राजनीतिक मुलाकातें। चाहे वो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे हों, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस या फिर शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे—राज ठाकरे इन बड़े चेहरों से एक के बाद एक मुलाकात कर रहे हैं, जिससे राज्य की सियासी फिजा गर्म हो गई है।

सियासत में सक्रिय लेकिन जमीन पर कमजोर

राज ठाकरे, जो कभी बालासाहेब ठाकरे के राजनीतिक उत्तराधिकारी माने जाते थे, अब खुद को महाराष्ट्र की राजनीति में प्रासंगिक बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। शिवसेना से अलग होकर बनाई गई महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) को शुरुआती दिनों में जोरदार समर्थन मिला, लेकिन समय के साथ उनकी पकड़ कमजोर होती गई। 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव में पार्टी एक-एक सीट तक सीमित रही और 2024 के लोकसभा चुनाव में तो खाता भी नहीं खुल पाया।

मुलाकातें क्यों बनती हैं चर्चा का विषय?

हालांकि, despite electoral setbacks, जब भी राज ठाकरे किसी बड़े नेता से मिलते हैं, तो राजनीतिक गलियारों में हलचल मच जाती है। इसकी वजह है उनका ‘X-Factor’। राज ठाकरे की राजनीति का अंदाज़, उनका वक्तृत्व कौशल और मराठी अस्मिता की बात करने वाला चेहरा आज भी कई लोगों को आकर्षित करता है। यही वजह है कि बीजेपी, शिवसेना (यूबीटी) और शिंदे गुट—सभी उनसे समीकरण बनाने में दिलचस्पी दिखाते रहे हैं।

राज ठाकरे की एकनाथ शिंदे से हालिया मुलाकात के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं कि क्या उन्हें आगामी विधानसभा चुनावों में कोई गठबंधन या सियासी भूमिका मिलने वाली है?

मनसे का समर्थन, रणनीति या मजबूरी?

चुनावी जमीन पर कमजोर हो चुकी मनसे के लिए यह समय अपने अस्तित्व को बचाने का है। वहीं, एनडीए या अन्य दलों को मराठी वोट बैंक को साधने के लिए एक पुराने चेहरा की ज़रूरत हो सकती है। ऐसे में राज ठाकरे का समर्थन, चाहे गठबंधन में हो या बाहर से, चुनावी समीकरण बदल सकता है।

निष्कर्ष

राज ठाकरे भले ही पिछले चुनावों में राजनीतिक तौर पर सफल नहीं रहे, लेकिन उनकी पहचान और शैली अब भी उन्हें महाराष्ट्र की राजनीति में एक “पोटेंशियल गेमचेंजर” बनाए रखती है। यही कारण है कि जब भी वो किसी बड़े नेता से मिलते हैं, राजनीतिक तापमान चढ़ जाता है—क्योंकि महाराष्ट्र की राजनीति में राज ठाकरे कभी भी चुपचाप किनारे नहीं बैठते।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top