पौराणिक काल में हनुमान जी और आधुनिक काल में छत्रपति शिवाजी महाराज संघ के आदर्श: मोहन भागवत
नागपुर: मोहन भागवत ने कहा, हनुमान जी और शिवाजी महाराज संघ के आदर्श
नागपुर: ‘युगांधर शिवराय नियोजन व व्यवस्थापनाचे दीपस्तंभ’ पुस्तक के विमोचन समारोह में सरसंघचालक मोहन भागवत ने एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा कि पौराणिक काल में हनुमान जी और आधुनिक काल में छत्रपति शिवाजी महाराज संघ के आदर्श हैं। उन्होंने यह भी कहा कि संघ की कार्यप्रणाली व्यक्तिवाद के खिलाफ है, लेकिन आदर्शों की आवश्यकता हमेशा बनी रहती है, और इन आदर्शों के रूप में हनुमान जी और शिवाजी महाराज सर्वोत्तम उदाहरण हैं।
भागवत ने शिवाजी महाराज के योगदान को लेकर कहा, “शिवाजी महाराज ने अपना जीवन पूरी तरह से राष्ट्र की सेवा में समर्पित किया। उनका योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण है। संघ के पहले तीन प्रमुखों – डॉ. हेडगेवार, गोलवलकर गुरुजी और बालासाहेब देवरस – ने हमेशा इस बात पर जोर दिया कि संघ का कार्य सैद्धांतिक हो सकता है, लेकिन प्रेरणा देने वाले वास्तविक आदर्शों की आवश्यकता होती है। और इन आदर्शों में पौराणिक युग में हनुमान जी और आधुनिक काल में छत्रपति शिवाजी महाराज सर्वोत्तम हैं।”
उन्होंने शिवाजी महाराज के ऐतिहासिक योगदान को भी याद किया, “शिवाजी महाराज के कारण ही भारतीय उपमहाद्वीप में विदेशी सत्ता का दौर समाप्त हुआ। उनके नेतृत्व में भारतीयों ने विदेशी आक्रमणकारियों का मुकाबला किया और देश की स्वाधीनता की राह को प्रशस्त किया। उनके संघर्ष के कारण ही भारत में विदेशी शासन का अंत हुआ, और यह सुनिश्चित हुआ कि भारतीय भूमि पर कोई बाहरी शक्ति न रहे।”
भागवत ने यह भी कहा कि शिवाजी महाराज की प्रेरणा आज भी जीवित है, और वह हमेशा संघ के आदर्श बने रहेंगे।