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इस्तांबुल शांति वार्ता विफल: पाकिस्तान-तालिबान के बीच बढ़ा तनाव, ख्वाजा आसिफ ने भारत पर लगाए बेबुनियाद आरोप

इस्तांबुल — पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बहुप्रतीक्षित शांति वार्ता नाटकीय रूप से असफल हो गई, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है। कतर और तुर्की की मध्यस्थता में हुई इस बैठक का उद्देश्य सीमा पार हिंसा और आतंकवाद पर रोक लगाना था, लेकिन वार्ता अविश्वास, आरोप-प्रत्यारोप और प्रतिस्पर्धी हितों की भेंट चढ़ गई।

सूत्रों के अनुसार, इस्तांबुल में हुई बातचीत के दौरान पाकिस्तानी और अफगानी प्रतिनिधिमंडल के बीच अमेरिकी ड्रोन हमलों और सीमा पार आतंकवाद को लेकर तीखी बहस हुई। विवाद तब और गहरा गया जब पाकिस्तान ने पहली बार स्वीकार किया कि उसने अपने क्षेत्र से अमेरिकी ड्रोन संचालन की अनुमति दी है। इस पर अफगान प्रतिनिधियों ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि इस तरह के अभियानों से अफगान संप्रभुता का उल्लंघन हो रहा है।

हालात तब बिगड़ गए जब इस्लामाबाद से एक रहस्यमयी फोन कॉल के बाद पाकिस्तानी वार्ताकारों ने अचानक रुख बदलते हुए कहा कि उन्हें अमेरिकी ड्रोन या इस्लामिक स्टेट की गतिविधियों पर कोई नियंत्रण नहीं है। इस बयान के बाद दोनों पक्षों में तीखा टकराव हुआ और वार्ता बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गई।

वार्ता की विफलता के बाद अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को चेतावनी दी कि अगर उसने अफगान धरती पर हमला किया तो “जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार रहें।” अफगान गृह मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल मतीन कानी ने कहा कि “हमारे पास परमाणु हथियार नहीं हैं, लेकिन बीस साल तक नाटो और अमेरिका भी हमें झुका नहीं सके।”

इसी बीच, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने स्थिति को और भड़काते हुए कहा, “अगर अफगानिस्तान ने इस्लामाबाद की ओर देखा भी, तो हम उनकी आंखें निकाल लेंगे।” पाकिस्तान के सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार ने भी अफगानिस्तान पर “पाकिस्तान-विरोधी आतंकवादियों” को समर्थन देने का आरोप लगाया और कहा कि देश अपनी सुरक्षा के लिए हर कदम उठाएगा।

हालांकि, विवाद को नया मोड़ तब मिला जब ख्वाजा आसिफ ने बिना किसी ठोस सबूत के इस पूरे मसले में भारत को घसीट लिया। उन्होंने दावा किया कि “भारत ने काबुल सरकार में घुसपैठ की है और वह अफगानिस्तान के जरिए पाकिस्तान के खिलाफ छद्म युद्ध चला रहा है।” आसिफ ने यह भी कहा कि भारत “काबुल के माध्यम से अपनी पुरानी हार का बदला लेना चाहता है।”

विश्लेषकों के मुताबिक, पाकिस्तान द्वारा बार-बार भारत पर आरोप लगाने की यह रणनीति घरेलू असफलताओं से ध्यान भटकाने की कोशिश है। वहीं, काबुल ने साफ कहा है कि वह पाकिस्तान पर किसी भी हमले का समर्थन नहीं करता और यह इस्लामाबाद की आंतरिक समस्या है।

फिलहाल, दोनों देशों के बीच संवाद की कोई संभावना नहीं दिख रही है। सीमा पिछले दो हफ्तों से बंद है, और दोनों तरफ सैन्य गतिविधियां तेज़ हो गई हैं। इस्तांबुल वार्ता की असफलता से यह स्पष्ट हो गया है कि दक्षिण एशिया में स्थायी शांति की राह अभी लंबी और कठिन है।

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