महाराष्ट्र जिला परिषद चुनाव: नया आरक्षण रोटेशन नियम, बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा

जिला परिषद चुनावों में आरक्षण रोटेशन को लेकर विवाद, हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
मुंबई, 16 सितंबर: महाराष्ट्र में जिला परिषद चुनावों के लिए लागू किए गए नए आरक्षण रोटेशन नियम को लेकर चल रही कानूनी लड़ाई अब अपने अंतिम चरण में पहुँच गई है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को इस मामले में सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है।
इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने राज्य सरकार के नए आरक्षण रोटेशन नियम को संविधान के विरुद्ध बताते हुए इसे चुनौती दी है। उनका आरोप है कि यह नियम न केवल जनप्रतिनिधियों के अधिकारों का हनन करता है, बल्कि मतदाताओं के लोकतांत्रिक अधिकारों को भी प्रभावित करता है।
विवाद का केंद्र है नियम 12, जिसके तहत 1996 से 2002 के बीच हुए चुनावों को आरक्षण रोटेशन के लिए अमान्य माना गया है। इसके चलते सरकार ने 2025 के चुनाव को “पहला चुनाव” मानते हुए नई गणना शुरू की है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह बदलाव राजनीतिक लाभ के उद्देश्य से किया गया है और इससे आरक्षण की पारंपरिक प्रक्रिया में असंतुलन पैदा होगा।
सरकार की ओर से दलील दी गई कि यह नया नियम चुनावी व्यवस्था को अधिक पारदर्शी और सुव्यवस्थित बनाने के इरादे से लागू किया गया है। उनका दावा है कि इससे आरक्षण निर्धारण की प्रक्रिया में स्थायित्व और स्पष्टता आएगी।
हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि वह इस संवेदनशील और व्यापक प्रभाव वाले मामले में जल्द ही निर्णय सुनाएगा।
अब सभी की नजरें अदालत के उस अंतिम फैसले पर टिकी हैं, जो राज्य के स्थानीय स्वशासन चुनावों की दिशा और भविष्य की आरक्षण प्रणाली को प्रभावित कर सकता है।
