10 अक्टूबर को नागपुर में ओबीसी नेताओं का महामोर्चा, विजय वडेट्टीवार बोले- विदर्भ से एक लाख लोग लेंगे भाग

ओबीसी आरक्षण मुद्दे पर उबाल, 10 अक्टूबर को नागपुर में होगा विशाल महामोर्चा; वडेट्टीवार बोले – यह समाज की लड़ाई है, राजनीति से कोई लेना-देना नहीं
नागपुर: राज्य सरकार द्वारा मराठा समुदाय को हैदराबाद गैजेट के आधार पर ‘कुणबी’ प्रमाणपत्र देने के निर्णय से ओबीसी समाज में व्यापक आक्रोश फैल गया है। इस फैसले के विरोध में ओबीसी समाज ने आगामी 10 अक्टूबर को नागपुर में एक विशाल महामोर्चा निकालने की घोषणा की है। कांग्रेस विधायक विजय वडेट्टीवार ने यह जानकारी शनिवार को नागपुर में हुई ओबीसी नेताओं की बैठक के बाद दी।
वडेट्टीवार ने कहा कि यह मोर्चा राजनीतिक नहीं बल्कि ओबीसी समाज की अस्मिता और अधिकारों की लड़ाई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कोई भी राजनीतिक दल इस आंदोलन का नेतृत्व नहीं करेगा, बल्कि मोर्चा समाज द्वारा स्वयं संगठित किया जाएगा। मोर्चे का आयोजन यशवंत स्टेडियम से संविधान चौक तक किया जाएगा और इसमें विदर्भ के सभी जिलों से करीब एक लाख लोगों के जुटने की उम्मीद है।
“लड़ो या मरो” होगा नारा
विजय वडेट्टीवार ने कहा, “हमारे अधिकारों पर हमला हुआ है। अब लड़ो या मरो – यही हमारा नारा होगा।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मोर्चे में भाग लेने वाला हर व्यक्ति अपनी पार्टी की पहचान छोड़कर केवल ओबीसी समाज का प्रतिनिधि होगा। मोर्चा का समन्वय उमेश कोर्राम करेंगे।
सरकार के फैसले पर तीखा विरोध
हैदराबाद राज्य के दस्तावेजों के आधार पर मराठा समाज को ‘कुणबी’ जाति प्रमाणपत्र देने संबंधी हालिया सरकारी आदेश (जीआर) को लेकर ओबीसी समाज में नाराजगी है। ओबीसी नेताओं का आरोप है कि इस निर्णय के जरिए सरकार उनके आरक्षण को कमजोर कर रही है। वडेट्टीवार ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने यह फैसला वापस नहीं लिया, तो आंदोलन और तेज होगा।
कोर्ट में चुनौती, मुंबई और मराठवाड़ा में भी मोर्चे की तैयारी
बैठक में निर्णय लिया गया कि इस विवादित जीआर को नागपुर खंडपीठ में चुनौती दी जाएगी, साथ ही राज्य के अन्य खंडपीठों में भी याचिकाएं दाखिल की जाएंगी। इसके अलावा, 20 अक्टूबर को मराठवाड़ा में बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें वहां के मोर्चे की तारीख तय होगी। मुंबई में भी एक बड़ा मोर्चा निकालने की योजना बनाई जा रही है।
“किसी को कुछ नहीं मिलेगा”
वडेट्टीवार ने सरकार की नीति पर कटाक्ष करते हुए कहा, “जब पहले से ही दो रोटियां थीं और खाने वाले दस, अब दस और पहलवानों को लाया गया तो किसी को कुछ नहीं मिलेगा।” उन्होंने मुख्यमंत्री से मामले पर सीधी बातचीत करने की मांग की और कहा कि जो इस फैसले का समर्थन करता है, वह ओबीसी समाज के साथ न्याय नहीं कर रहा।
निष्कर्ष:
10 अक्टूबर को नागपुर ओबीसी समाज के एकजुट प्रदर्शन का साक्षी बनेगा, जिसमें आरक्षण के अधिकारों की रक्षा के लिए जनसैलाब सड़कों पर उतरेगा। सरकार के फैसले के खिलाफ यह आंदोलन आने वाले दिनों में राज्य की राजनीति और सामाजिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है।
