अमरावती: बप्पा के स्वागत को तैयार शहर, मूर्तियों की कीमतों में 10-15% की बढ़ोतरी
अमरावती में गणेशोत्सव की धूम: मूर्तिकारों के कार्यशालाओं में आखिरी चरण की तैयारियाँ, मूर्तियों की कीमतों में 15% तक इज़ाफ़ा
अमरावती, 21 अगस्त: गणेशोत्सव अब कुछ ही दिनों की दूरी पर है और अमरावती शहर में चारों ओर भक्ति और उल्लास का वातावरण छा गया है। शहर की गलियाँ सजने लगी हैं, ढोल-ताशों की गूंज सुनाई देने लगी है और मूर्तिकारों की कार्यशालाओं में बप्पा को अंतिम रूप देने की होड़ मची हुई है।
गणेश चतुर्थी 27 अगस्त को मनाई जाएगी और उससे पहले अमरावती शहर और ग्रामीण इलाकों में तैयारियों ने ज़ोर पकड़ लिया है। मूर्तियों को रंगने, आंखें बनाने, और उन्हें मोतियों, आभूषणों व पारंपरिक वस्त्रों से सजाने का कार्य अपने अंतिम चरण में है। हर वर्ष की तरह इस बार भी विघ्नहर्ता के स्वागत में श्रद्धालु कोई कसर नहीं छोड़ रहे।
इस बार मूर्ति निर्माण में थोड़ी देरी देखने को मिली, जिसका कारण प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) के उपयोग को लेकर असमंजस की स्थिति रही। इससे मूर्तिकारों को समय की कमी से जूझना पड़ा और उन्हें अतिरिक्त मजदूरों की मदद लेनी पड़ी। इसका सीधा असर मूर्तियों की लागत पर पड़ा है। हालाँकि कच्चे माल की कीमतें स्थिर हैं, लेकिन मज़दूरी बढ़ने के कारण मूर्तियों की कीमतों में 10 से 15 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है।
मूर्तिकारों की माने तो साधारण मूर्तियों की तुलना में विशेष सजावट वाली मूर्तियों की मांग अधिक है। भक्तों की मांग के अनुरूप मूर्तियों को रंग-बिरंगे कपड़े, मोती, मखमली शैला, पगड़ी, और जालीदार सजावट से सुसज्जित किया जा रहा है। इस साल पारंपरिक लुक में आधुनिकता की झलक भी देखने को मिल रही है, जिससे मूर्तियाँ और भी आकर्षक बन गई हैं।
शहर के बाज़ारों में मूर्तियों की बिक्री शुरू हो चुकी है। लोग पहले से बुकिंग करवा रहे हैं और कुछ स्थानों पर तो मूर्तियाँ पहले ही बिक चुकी हैं। हर गली, हर मोहल्ले में गणपति के स्वागत की तैयारियाँ जोरों पर हैं।
अमरावती में इस बार का गणेशोत्सव एक बार फिर श्रद्धा, संस्कृति और सामूहिक उत्साह का प्रतीक बनने जा रहा है, जहाँ भक्तों के दिलों में बस एक ही धुन है—“गणपति बप्पा मोरया!”