“शरद पवार के दावे को फडणवीस ने बताया मनमोहक कहानियां, कहा- राहुल समेत सभी मिलकर देश के खिलाफ रच रहे साजिश”

फडणवीस ने शरद पवार के दावों को बताया ‘सलीम-जावेद की कहानी’, राहुल गांधी पर लगाया देश के खिलाफ साजिश रचने का आरोप
नागपुर: मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एनसीपी नेता शरद पवार द्वारा किए गए दावों को खारिज करते हुए इसे “सलीम-जावेद की मनमोहक कहानी” करार दिया। पवार के आरोपों को फर्जी बताते हुए फडणवीस ने सवाल उठाया कि यदि किसी ने पवार से इस तरह का प्रस्ताव किया था तो उन्होंने चुनाव आयोग या पुलिस में शिकायत क्यों नहीं की। उन्होंने कहा कि पवार को यह बात सार्वजनिक रूप से उठानी चाहिए थी, अगर यह सच था।
रविवार को नागपुर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान फडणवीस ने कहा, “आप एक जिम्मेदार नागरिक हैं। यदि कोई आपके पास इस तरह का प्रस्ताव लेकर आता है, तो आपने इसकी शिकायत चुनाव आयोग या पुलिस से क्यों नहीं की? इस तरह की कहानी अब बंद होनी चाहिए।” फडणवीस ने पवार के उस दावे को भी गंभीर बताया जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि ऑफर देने वाले व्यक्ति को राहुल गांधी से मिलवाया गया था। मुख्यमंत्री ने इसे देश के खिलाफ साजिश करार देते हुए कहा, “ये सब मिलकर देश के खिलाफ साजिश रच रहे हैं। यह गंभीर मामला बनता जा रहा है।”
फडणवीस ने चुनाव आयोग द्वारा ईवीएम हैकिंग के बारे में दिए गए सार्वजनिक चैलेंज का भी उल्लेख किया और कहा कि अब तक कोई भी इसमें सफल नहीं हो पाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि पवार और उनके सहयोगी सिर्फ अफवाहें फैला रहे हैं, जबकि चुनाव आयोग ने चार बार राजनीतिक पार्टियों और हैकर्स को ईवीएम हैक करने के लिए खुला चैलेंज दिया, लेकिन कोई भी इस चुनौती को स्वीकार नहीं कर रहा।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा, “यह सब महज अफवाहें हैं। चुनाव आयोग ने एक के बाद एक नोटिस भेजे हैं, लेकिन वे इस पर कुछ नहीं बोलते। उनकी रणनीति है ‘शूट एंड स्कूट’ – यानी गोली चलाओ और भाग जाओ।”
ओबीसी समाज पर तंज: फडणवीस ने एनसीपी की मंडल यात्रा को किया खारिज
फडणवीस ने एनसीपी द्वारा निकाली जा रही ओबीसी यात्रा पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा, “अब जब ओबीसी समाज की ताकत समझ में आई है, तो वे यात्रा निकाल रहे हैं। यह समाज सालों तक उनकी नजरों से दूर था और अब उन्हें यह याद आ रहा है। ओबीसी समाज को अब सिर्फ भाषणों से काम नहीं चलेगा, ठोस कदम उठाने होंगे।”
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि ओबीसी समाज को कभी उनके शासन में कोई ठोस लाभ नहीं मिला। उन्होंने कहा, “जब ओबीसी समाज को संकट आया, तो इनकी भूमिका ‘नरवा-कुंजरवा’ जैसी रही, यह समाज देख चुका है। अब यदि ओबीसी की याद आई है, तो वह सिर्फ शब्दों में नहीं, बल्कि कामों में भी दिखनी चाहिए।”
