मनपा, एनआईटी और सरकार किसी काम की नहीं, गडकरी का तंज – “व्यवस्थाएं चलती गाड़ी को कर देती हैं पंक्चर”
गडकरी का तीखा कटाक्ष: “सरकारी व्यवस्थाएं सिर्फ अड़चनें पैदा करती हैं, काम करने के लिए नया रास्ता अपनाना होगा”
नागपुर: अपने बेबाक बयानों के लिए पहचाने जाने वाले केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक बार फिर सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली पर तीखा हमला बोला है। शनिवार को नागपुर के सुरेश भट्ट सभागार में आयोजित ‘खेल एक करियर’ सेमिनार में बोलते हुए गडकरी ने कहा कि सरकार, मनपा (नागपुर महानगरपालिका), एनआईटी जैसी संस्थाएं किसी काम की नहीं हैं। उन्होंने कहा, “ये व्यवस्थाएं चलती गाड़ी को पंक्चर करने का काम करती हैं। इसलिए, अब काम करने के लिए अलग रास्ता अपनाना होगा।”
कार्यक्रम का आयोजन विदर्भ एडवेंचर एसोसिएशन द्वारा किया गया था, जिसमें गडकरी ने युवाओं को खेल क्षेत्र में करियर बनाने की प्रेरणा दी। साथ ही उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि संसाधनों की कमी के बावजूद यदि इच्छाशक्ति हो तो बड़े-बड़े प्रोजेक्ट पूरे किए जा सकते हैं।
खेलों के लिए गडकरी का बड़ा विजन
गडकरी ने कहा कि उनका लक्ष्य नागपुर में 300 स्टेडियम बनवाने का है, लेकिन मौजूदा सरकारी व्यवस्थाएं इस दिशा में सहयोगी नहीं हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा, “सरकारी ढांचे की वजह से विकास की गति रुकती है। सरकार एक अप्रभावी व्यवस्था बन चुकी है, जिससे कुछ भी ठोस निकल पाना मुश्किल है।”
उन्होंने नागपुर में एक निजी मॉडल का उदाहरण भी दिया, जिसमें दुबई के एक व्यक्ति को स्थानीय स्टेडियम के निर्माण और संचालन की जिम्मेदारी दी गई है। इसके तहत सरकार ज़मीन और आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराएगी, जबकि संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी निजी संस्था की होगी। खेल गतिविधियों में भाग लेने वाले युवाओं से नाममात्र की फीस ली जाएगी।
“मुफ्त की चीज़ें बेकार होती हैं”
गडकरी ने यह भी कहा कि मुफ्त दी गई सुविधाओं का कोई मूल्य नहीं होता। “जब कोई व्यक्ति पैसे देता है, तो वह मेहनत करता है और उस चीज़ की कद्र करता है,” उन्होंने कहा। इस दृष्टिकोण के तहत गडकरी चाहते हैं कि नागपुर में खेलों को आत्मनिर्भर और व्यावसायिक ढांचे के साथ आगे बढ़ाया जाए।
राजनीति में हलचल
गडकरी के इस बयान को केवल एक खेल कार्यक्रम तक सीमित नहीं माना जा रहा है। “सरकार बेकार है” और “व्यवस्थाएं अड़चन हैं” जैसे उनके बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। विपक्षी दलों ने इसे मौजूदा सरकार की आलोचना के रूप में देखा है, जबकि समर्थकों का कहना है कि गडकरी सिस्टम की जमीनी सच्चाई सामने रख रहे हैं।
गडकरी का यह बयान सिर्फ एक भाषण नहीं, बल्कि एक कड़ी चेतावनी भी है — यदि सरकारी तंत्र में सुधार नहीं हुआ, तो विकास की रफ्तार लगातार बाधित होती रहेगी।