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कर्जमाफी की मांग को लेकर प्रहार का प्रदर्शन बेकाबू, स्वर्ग रथ को लगाई आग; बच्चू कडु समर्थकों पर मामला दर्ज

कर्जमाफी की मांग को लेकर प्रहार का प्रदर्शन बेकाबू, स्वर्ग रथ को लगाई आग; बच्चू कडु समर्थकों पर मामला दर्ज

प्रहार के आंदोलन में उग्रता की हदें पार, नागपुर में स्वर्गरथ को किया आग के हवाले; कई कार्यकर्ताओं पर मामला दर्ज

नागपुर, 25 जुलाई — किसान कर्जमाफी और अन्य मांगों को लेकर प्रहार जनशक्ति पक्ष द्वारा आयोजित राज्यव्यापी चक्काजाम आंदोलन गुरुवार को नागपुर में हिंसक रूप ले गया। आंदोलनकारियों ने गोंडखैरी क्षेत्र में एक अंत्येष्टि वाहन (स्वर्गरथ) को रोककर उसमें आग लगा दी, जिससे वाहन का अगला हिस्सा पूरी तरह जलकर राख हो गया। इस संवेदनशील और अराजक घटना ने न सिर्फ कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि आंदोलन की नैतिकता को लेकर भी गंभीर बहस छेड़ दी है।

चक्काजाम की आड़ में उग्र प्रदर्शन

बच्चू कडु के नेतृत्व वाली प्रहार संघटना ने गुरुवार को पूरे महाराष्ट्र में चक्काजाम आंदोलन का आह्वान किया था। नागपुर-अमरावती राष्ट्रीय महामार्ग पर सुबह से ही प्रहार कार्यकर्ता भारी संख्या में एकत्र होने लगे। हालांकि, प्रशासन को पहले से आंदोलन की सूचना थी और कुछ कार्यकर्ताओं को एहतियातन हिरासत में भी लिया गया था, फिर भी भीड़ की आक्रामकता ने हालात को बेकाबू कर दिया।

अंत्येष्टि वाहन को बनाया निशाना

हैरत और आक्रोश की बात तब सामने आई, जब गोंडखैरी के पास प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ताओं ने एक गुजरते हुए स्वर्गरथ को रोककर उसमें आग लगा दी। यह वाहन किसी के अंतिम संस्कार के लिए जा रहा था। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, यह हमला अचानक हुआ और पुलिस की मौजूदगी के बावजूद प्रदर्शनकारी हिंसक हो उठे। दमकल और पुलिस टीम ने तत्परता दिखाते हुए आग पर काबू पाया, लेकिन तब तक वाहन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका था।

पुलिस ने दर्ज की एफआईआर, माहौल तनावपूर्ण

घटना के बाद मौके पर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। संबंधित प्रहार कार्यकर्ताओं के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर लिया गया है। अधिकारियों के अनुसार, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना और शांति भंग करना गंभीर अपराध है, जिस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

जनता में रोष, आंदोलन की गरिमा पर सवाल

जहां एक ओर प्रहार संगठन किसानों और दिव्यांगों जैसे वंचित वर्गों के मुद्दे उठा रहा है, वहीं दूसरी ओर अंतिम संस्कार जैसी मानवीय सेवा को निशाना बनाना आम नागरिकों में गहरा रोष पैदा कर रहा है। कई स्थानीय नागरिकों ने सवाल उठाया कि क्या आंदोलन के नाम पर इस तरह की असंवेदनशीलता जायज़ है?

प्रशासन सतर्क, हालात नियंत्रण में

हालांकि घटना के बाद प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए स्थिति को नियंत्रण में लिया, लेकिन यह घटना आने वाले दिनों में आंदोलनों की दिशा और शैली को लेकर सरकार और समाज के बीच नए विमर्श को जन्म दे सकती है।

निष्कर्ष: प्रहार संघटना की मांगें चाहे जितनी भी न्यायसंगत हों, पर आंदोलन में कानून को हाथ में लेना और संवेदनशील सेवाओं को निशाना बनाना उसकी छवि पर गहरा असर डाल सकता है। सरकार अब इस घटनाक्रम को लेकर अगला कदम किस दिशा में उठाती है, इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं।

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