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नागपुर जिला परिषद चुनाव में बड़ा उलटफेर: सर्कल बदले, समीकरण बदले, सियासत में मचा हलचल

नागपुर, 15 जुलाई: नागपुर जिला परिषद के आगामी चुनाव को लेकर राजनीतिक माहौल गरमा गया है। राज्य निर्वाचन आयोग ने नई मतदाता सूची जारी कर दी है, जिससे साफ हो गया है कि इस बार कुल 57 सीटों पर मतदान होगा। लेकिन असली हलचल का कारण बना है परिसीमन का बड़ा फेरबदल, जिसने पूरी सियासी तस्वीर को बदलकर रख दिया है।

सर्कलों में बड़ा बदलाव – तीन खत्म, दो नए जुड़े

इस बार जिला परिषद के 13 में से 12 सर्कल ही मैदान में होंगे।

  • हिंगणा, रवानी और बेलतरोड़ी जैसे प्रभावशाली सर्कलों को परिसीमन के तहत खत्म कर दिया गया है।
  • वहीं, कलमेश्वर-मौदा को मिलाकर एक संयुक्त सर्कल बनाया गया है, जो नए समीकरण रचने वाला है।

हिंगणा में सियासी ज़मीन खिसकी

हिंगणा और नागपुर ग्रामीण इलाका अब तक सत्ता की धुरी माने जाते थे। लेकिन परिसीमन के इस झटके ने कई वरिष्ठ नेताओं की राजनीति की नींव हिला दी है। उनके परंपरागत गढ़ अब नए सर्कलों में समा गए हैं, जिससे नए समीकरणों और नेतृत्व के उभरने की संभावनाएं बन रही हैं।

चार तहसीलें – नए राजनीतिक मोज़ेक का हिस्सा

  • रामटेक, पारशिवनी, नरखेड़ और कटोल जैसी तहसीलों के अंतर्गत आने वाले गांवों और इलाकों की नई सर्कल वाइज बंटवारे ने ज़मीनी राजनीति में उथल-पुथल मचा दी है।
  • अब पंचायत स्तर से लेकर जिला परिषद तक की संरचना नए सिरे से तय होगी।

चुनावी रणनीति पर फिर से करनी होगी मेहनत

राजनीतिक दलों के लिए ये बदलाव कोई छोटी चुनौती नहीं हैं।

  • पारंपरिक वोटबैंक बिखर गए हैं
  • पुराने समीकरण टूटे हैं
  • अब पार्टियों को नए उम्मीदवारों, नई रणनीतियों और मजबूत जमीनी पकड़ की तलाश करनी होगी।
  • टिकट कटौती, बगावत और नए गठजोड़ की चर्चाएं तेज़ हो गई हैं।

क्या कहता है सियासी विश्लेषण?

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, इस परिसीमन ने सत्ता संतुलन को हिला कर रख दिया है। जिन क्षेत्रों में एकतरफा पकड़ मानी जाती थी, अब वहां मुकाबला खुला हो गया है। इससे नई राजनीतिक ताकतों को उभरने का मौका मिल सकता है और कई पुराने दिग्गजों को अपनी पकड़ साबित करने के लिए दोबारा जमीन पर उतरना पड़ेगा।

संक्षेप में – नागपुर जिला परिषद चुनाव इस बार न सिर्फ मतदाताओं के लिए, बल्कि राजनीतिक दलों के लिए भी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होने वाला।

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