Headline
नागपुर एयरपोर्ट पर इंडिगो की बड़ी लापरवाही: टपकती बस से यात्रियों को कराया सफर, मंत्री आशीष जायसवाल और विधायक देशमुख भी थे मौजूद
Nagpur Monsoon Havoc: पहली बारिश में शहर बेहाल, कई इलाकों में पेड़ गिरे, 32.2 मिमी वर्षा दर्ज
डेढ़ लाख किसानों को फसल ऋण से वंचित: राष्ट्रीय और निजी बैंक ऋण वितरण में कर रहे हैं संघर्ष
लाड़ले बिजली उपभोक्ताओं को बड़ी राहत: अगले 5 साल में 26% सस्ती होगी बिजली – मुख्यमंत्री फडणवीस
बच्चू कडु जिला बैंक के अध्यक्ष और निदेशक पद पर बने रहेंगे, हाईकोर्ट ने सह पंजीयक के आदेश पर लगाई रोक
शालार्थ आईडी घोटाला: जांच समिति की रिपोर्ट अंतिम चरण में, जल्द हो सकता है बड़ा खुलासा
भंडारा: लखनी फ्लाईओवर पर ट्रक और मोटरसाइकिल की टक्कर, दो लोग गंभीर रूप से घायल
गुजरात सहित अन्य राज्यों में हिंदी की सख्ती क्यों नहीं? वडेट्टीवार का सवाल, बोले– मराठी भाषा खत्म करने की साजिश
अकोला: बडनेरा-नासिक अनारक्षित ट्रेन अब 30 सितंबर तक चलेगी

गुजरात सहित अन्य राज्यों में हिंदी की सख्ती क्यों नहीं? वडेट्टीवार का सवाल, बोले– मराठी भाषा खत्म करने की साजिश

गुजरात सहित अन्य राज्यों में हिंदी की सख्ती क्यों नहीं? वडेट्टीवार का सवाल, बोले– मराठी भाषा खत्म करने की साजिश

हिंदी अनिवार्यता पर विवाद जारी, वडेट्टीवार ने उठाए सवाल – “मराठी को खत्म करने की साजिश”

नागपुर – महाराष्ट्र में स्कूली शिक्षा में हिंदी को पहली कक्षा से अनिवार्य किए जाने के फैसले पर सियासी घमासान तेज हो गया है। राज्य सरकार द्वारा फैसले को अस्थायी रूप से स्थगित कर सभी पक्षों से चर्चा करने की घोषणा के बावजूद, विपक्ष सरकार पर हमलावर बना हुआ है। कांग्रेस विधायक दल के नेता विजय वडेट्टीवार ने बुधवार को नागपुर में प्रेस से बात करते हुए आरोप लगाया कि यह निर्णय मराठी भाषा को कमजोर करने और उसकी अस्मिता को मिटाने की एक साजिश है।

वडेट्टीवार ने सवाल उठाया कि यदि महाराष्ट्र में हिंदी को लेकर इतनी सख्ती बरती जा रही है, तो गुजरात और अन्य राज्यों में ऐसा क्यों नहीं हो रहा? उन्होंने कहा, “गुजरात में मराठी और हिंदी की कोई अनिवार्यता नहीं है, फिर महाराष्ट्र में मराठी को छोड़कर हिंदी की जबरदस्ती क्यों की जा रही है?”

उन्होंने आगे कहा कि मराठी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि महाराष्ट्र की पहचान, संस्कृति और संत परंपरा की वाहक है। “अगर त्रिभाषा फार्मूले के तहत शिक्षा देनी है, तो इसे पहली के बजाय पांचवी कक्षा से लागू क्यों नहीं किया जा सकता?” – यह सवाल भी वडेट्टीवार ने सरकार से किया।

कांग्रेस नेता ने यह भी जानना चाहा कि यह फैसला किनके इशारे पर लिया गया और किसको खुश करने के लिए मराठी छात्रों पर हिंदी थोपने की कोशिश की जा रही है।

अजित पवार पर भी साधा निशाना

वडेट्टीवार ने इस मुद्दे पर उपमुख्यमंत्री अजित पवार को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि जब शरद पवार स्वयं इस फैसले के विरोध में हैं, तो अजित पवार क्यों चुप हैं? “अगर वे वाकई इस फैसले के खिलाफ हैं तो कैबिनेट में विरोध दर्ज क्यों नहीं करा रहे? क्या केवल भूमिका बांधना काफी है?” – उन्होंने सवाल किया।

उन्होंने यहां तक मांग की कि अजित पवार और उनके सहयोगी मंत्री इस फैसले का विरोध करते हुए कैबिनेट से बाहर आ जाएं, जिससे सरकार पर दबाव बने और मराठी भाषा के हितों की रक्षा हो सके।

विरोध की इस लहर में अब साहित्यकार, विपक्षी दल और जनसमूह भी शामिल हो चुके हैं, जिससे यह मुद्दा केवल शिक्षा नीति तक सीमित न रहकर अब महाराष्ट्र की सांस्कृतिक अस्मिता का प्रश्न बन गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top