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घर‑दफ्तर में AC कितने डिग्री पर चलेगा, अब सरकार तय करेगी तापमान का मानक

घर‑दफ्तर में AC कितने डिग्री पर चलेगा, अब सरकार तय करेगी तापमान का मानक

AC चलाने के नियम तय करेगी सरकार, तय होगा तापमान का नया मानक: ऊर्जा बचत और पर्यावरण सुरक्षा पर फोकस

नई दिल्ली: एयर कंडीशनर के तापमान को लेकर अब सरकार एक統 मानक तय करने जा रही है। केंद्रीय ऊर्जा और शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस संबंध में एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए बताया कि देशभर में एसी के तापमान की न्यूनतम और अधिकतम सीमा तय करने की तैयारी की जा रही है। प्रस्तावित नियमों के तहत, सभी नए और मौजूदा एयर कंडीशनर यूनिट्स में तापमान को 20 डिग्री सेल्सियस से नीचे और 28 डिग्री सेल्सियस से ऊपर सेट नहीं किया जा सकेगा।

ऊर्जा बचत और पर्यावरण सुरक्षा की पहल
सरकार का यह कदम बढ़ती ऊर्जा खपत, बिजली संकट और पर्यावरणीय प्रभाव को नियंत्रित करने के मकसद से उठाया जा रहा है। ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार, बेहद ठंडे तापमान पर एसी चलाने से बिजली की खपत तेजी से बढ़ती है, जिससे कार्बन उत्सर्जन में इजाफा होता है और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा भी बढ़ता है।

क्या बोले मंत्री मनोहर लाल खट्टर?
मंत्री खट्टर ने कहा, “यह निर्णय एक स्थायी ऊर्जा नीति की दिशा में कदम है। इससे न केवल बिजली बिल में कमी आएगी, बल्कि देश की पर्यावरणीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में भी मदद मिलेगी।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आने वाले समय में यह नियम सभी सार्वजनिक और निजी परिसरों पर लागू होंगे।

इन जगहों पर लागू होंगे नए नियम
प्रस्तावित तापमान सीमा सरकारी कार्यालयों, निजी दफ्तरों, स्कूलों, कॉलेजों, मॉल्स, होटल्स और यहां तक कि घरों में भी लागू की जाएगी। इसका मकसद समग्र रूप से एसी के उपयोग में एकरूपता लाना और बिजली की बचत को प्रोत्साहित करना है।

क्या होंगे फायदे?

  • उपभोक्ताओं को बिजली की लागत में बड़ी राहत
  • कार्बन उत्सर्जन में कमी
  • हेल्थ रिस्क को घटाने में मदद
  • पर्यावरण के प्रति जागरूकता और स्थायी जीवनशैली को बढ़ावा

नियम लागू होने की प्रक्रिया
सरकार इस प्रस्ताव को अंतिम रूप देने से पहले संबंधित विभागों और विशेषज्ञों से राय ले रही है। समीक्षा पूरी होते ही इसे लागू कर दिया जाएगा। अनुमान है कि इस कदम से देशभर में वर्षों में करोड़ों रुपये की ऊर्जा बचत हो सकती है।

यह फैसला भारत की ऊर्जा नीति में एक बड़ा और सकारात्मक बदलाव माना जा रहा है, जो आने वाले समय में न केवल उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि पर्यावरणीय संरक्षण के लिहाज़ से भी एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।

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