Headline
सतीश शाह को अंतिम विदाई: राजेश कुमार ने दिया कंधा, रुपाली गांगुली नम आंखों से फूट-फूटकर रोईं
आचार्य प्रमोद कृष्णम का तेजस्वी यादव पर बड़ा हमला: कहा, “अगर CM बने तो बिहार में लागू करेंगे शरिया कानून”
IRCTC घोटाला: लालू प्रसाद, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव पर आज से कोर्ट में ट्रायल शुरू, भ्रष्टाचार के मामलों में चलेगा मुकदमा
‘21वीं सदी भारत और आसियान की सदी’ — आसियान शिखर सम्मेलन में बोले PM मोदी, साझा विकास पर दिया जोर
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मेरठ में बुलडोजर एक्शन, सेंट्रल मार्केट का अवैध कॉम्प्लेक्स ध्वस्त
नागपुर के नंदनवन में 12 वर्षीय मासूम से दरिंदगी: एक आरोपी गिरफ्तार, दूसरा फरार
राक्षस पिता की हैवानियत: अंढेरा में दो जुड़वां बच्चियों की हत्या, सड़ी-गली लाशें बरामद
ओबीसी महासंघ अध्यक्ष बबनराव तायवाड़े ने डॉक्टर आत्महत्या मामले पर दुख व्यक्त किया, SIT गठित कर जांच की मांग की
BJP विधायक फुके का ‘कमीशन’ बम: भंडारा नगर परिषद में करोड़ों के घोटाले का दावा

पूर्व विधायक मैदान में, संगठनात्मक चुनाव बना ताकत दिखाने का मंच; वर्तमान विधायकों की साख दांव पर

पूर्व विधायक मैदान में, संगठनात्मक चुनाव बना ताकत दिखाने का मंच; वर्तमान विधायकों की साख दांव पर

चंद्रपुर भाजपा में खुलकर सामने आई गुटबाजी, संगठनात्मक चुनाव बना राजनीतिक शक्ति संतुलन का अखाड़ा

चंद्रपुर, महाराष्ट्र — भारतीय जनता पार्टी की चंद्रपुर इकाई में वर्षों से दबे अंतर्विरोध अब खुलकर सतह पर आ गए हैं। तकरीबन तीन दशकों में पहली बार संगठनात्मक चुनाव इतनी तीव्र गुटबाजी और खुले टकराव के मंच बन गए हैं, जहाँ मुद्दा केवल पद नहीं बल्कि राजनीतिक वर्चस्व का हो गया है।

गठबंधन और विरोध के बीच संगठन की कसौटी
जिला और महानगर अध्यक्ष पदों के लिए प्रदेश नेतृत्व ने कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ नेताओं से अभिप्राय (राय) मांगा, जो सामान्यतः औपचारिक प्रक्रिया मानी जाती है। मगर इस बार यह प्रक्रिया नेताओं की व्यक्तिगत ताकत और गुटीय संतुलन दिखाने का माध्यम बन गई। मौजूदा विधायकों के साथ-साथ राजनीतिक रूप से निष्क्रिय माने जा रहे पूर्व विधायक भी सक्रिय हो उठे हैं, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि चुनाव अब संगठन से ज़्यादा गुटों की प्रतिष्ठा की लड़ाई बन चुके हैं।

शहर अध्यक्ष पद की दौड़ में कई दावेदार, गुटों के समीकरण दिलचस्प
शहर अध्यक्ष पद के लिए वर्तमान अध्यक्ष राहुल पावडे को विधायक सुधीर मुनगंटीवार का समर्थन प्राप्त है। वहीं उनके मुकाबले में डॉ. मंगेश गुलवाडे, सुभाष कासनगोट्टवार और दशरथसिंग ठाकुर जैसे दिग्गज हैं। खास बात यह रही कि डॉ. गुलवाडे ने अलग रास्ता अपनाते हुए विधायक किशोर जोरगेवार का समर्थन मांगा, जिससे मुनगंटीवार गुट के भीतर असहमति के संकेत और स्पष्ट हो गए।

ग्रामीण जिलाध्यक्ष पद पर भी खिंची कड़ी लाइनें
वर्तमान ग्रामीण जिलाध्यक्ष हरीश शर्मा को नामदेव डाहुले, कृष्णा सहारे और विवेक बोढे से चुनौती मिल रही है। इनमें डाहुले को मुनगंटीवार विरोधी खेमे का समर्थन प्राप्त है, जिससे यह मुकाबला व्यक्तिगत चुनाव से हटकर राजनीतिक गुटों की ताकत दिखाने का माध्यम बन गया है।

वरिष्ठ नेताओं की सक्रियता से बढ़ा चुनावी तापमान
पूर्व विधायक नाना शामकुळे और पूर्व मंत्री शोभा फडणवीस की सक्रियता यह दर्शाती है कि अब केवल वर्तमान विधायक ही नहीं, बल्कि पूर्व जनप्रतिनिधि भी अपने प्रभाव को पुनर्स्थापित करने की कोशिश में हैं। विधायक बंटी भांगडिया, किशोर जोरगेवार, करण देवतळे और देवराव भोंगळे जैसे नामों की मौजूदगी से इस संगठनात्मक प्रक्रिया का महत्व और अधिक बढ़ गया है।

भविष्य की दिशा तय करेगा यह चुनाव
चंद्रपुर भाजपा की यह आंतरिक खींचतान न सिर्फ पार्टी की आंतरिक संरचना पर असर डालेगी, बल्कि आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी की दिशा भी तय करेगी। अब देखना यह होगा कि किस गुट को संगठन में बढ़त मिलती है और किसे संतुलन साधने के लिए पीछे हटना पड़ता है।

क्या आप इस रिपोर्ट का एक संक्षिप्त टीवी बुलेटिन संस्करण भी चाहेंगे?

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top