AFC एशियन कप क्वालिफायर: बांगलादेश के खिलाफ भारतीय टीम को ड्रॉ में संतोष, गोल रहित मुकाबला
भारत और बांगलादेश के बीच एएफसी एशियाई कप क्वालिफायर में गोल रहित ड्रॉ
भारत और बांगलादेश की फुटबॉल टीमों ने मंगलवार को 2027 एएफसी एशियाई कप क्वालीफायर्स के दौरान गोल रहित ड्रॉ खेला। पहले हाफ में बांगलादेश ने थोड़ा बेहतर खेल दिखाया, हालांकि उसे गोल करने का कोई स्पष्ट अवसर नहीं मिला। इस दौरान बांगलादेश ने आक्रामक मूव्स किए और अधिक कॉर्नर किक हासिल की। वहीं, दूसरे हाफ में भारतीय टीम ने अपनी प्रदर्शन में सुधार किया और बांगलादेश के खिलाफ बेहतर खेल दिखाया, लेकिन अंत तक कोई गोल नहीं हो सका।
भारत और बांगलादेश के बीच एएफसी एशियाई कप क्वालिफायर्स में गोल रहित ड्रॉ
स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली: भारतीय फुटबॉल टीम ने मंगलवार को एएफसी एशियाई कप क्वालिफायर्स के तीसरे राउंड में बांगलादेश के खिलाफ गोलरहित ड्रॉ खेला। शिलांग स्थित जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में हुए इस मुकाबले में दोनों टीमों का स्कोर 0-0 से बराबर रहा।
इस मैच पर खास ध्यान था क्योंकि प्रीमियर लीग स्टार हमजा चौधरी ने बांगलादेश के लिए डेब्यू किया था (जो फिलहाल लेस्टर सिटी से शेफील्ड यूनाइटेड में लोन पर हैं)। वहीं, भारतीय कप्तान सुनील छेत्री पर भी सबकी निगाहें थीं, जिन्होंने संन्यास से वापसी की थी। हालांकि, दोनों ही खिलाड़ी अपनी टीम के लिए अपेक्षाएं पूरी नहीं कर सके।
जहां हमजा पूरे मैच में शांत रहे, वहीं छेत्री को कई मौके मिले लेकिन वह गोल करने में नाकाम रहे। 85वें मिनट में छेत्री को मैदान से बाहर बुला लिया गया।
शुभाशीष बोस का शानदार प्रदर्शन, भारतीय टीम को मिली उम्मीद
भारतीय फुटबॉल टीम के सेंटर बैक शुभाशीष बोस ने बांगलादेश के खिलाफ खेले गए एएफसी एशियाई कप क्वालीफायर्स मैच में अपनी शानदार मौजूदगी दर्ज कराई। भले ही वह कागज पर डिफेंडर थे, लेकिन मैदान पर बोस ने अपनी बेहतरीन रनिंग, लंबी रेंज के शॉट्स, और विरोधी से गेंद छीनने की कला से सबको प्रभावित किया। बोस ने मैच के दौरान बांगलादेश के खिलाफ अपने समर्पण को स्पष्ट रूप से दिखाया। चाहे आक्रमण में भाग लेना हो या फिर पहले हाफ में गोल-लाइन पर क्लीयरेंस देना हो, बोस ने पूरी कोशिश की।
छेत्री पर निर्भरता का सवाल
भारतीय टीम के हेड कोच मानोलो मर्केज को एक बड़ी चुनौती का सामना करना है: टीम को गोल करने वाले एक मजबूत स्ट्राइकर की तलाश। जब सुनील छेत्री मैदान में होते हैं, तो पूरी टीम का ध्यान उन्हीं पर केंद्रित होता है, लेकिन सवाल ये उठता है कि भारतीय टीम कब तक छेत्री पर निर्भर रह सकती है। छेत्री को कई मौके मिले, लेकिन वह गोल करने में नाकाम रहे। अब कोच मर्केज को यह तय करना होगा कि आने वाली पीढ़ी को मैदान में मौका मिल पाए, ताकि टीम का भविष्य मजबूत हो सके, जैसे फारूख चौधरी जैसे युवा खिलाड़ी तैयार हों।
मिडफील्ड की कमजोरी पर सवाल
बांगलादेश के खिलाफ इस मैच ने भारत की एक बड़ी कमजोरी को उजागर किया: मिडफील्ड। बांगलादेश ने भारत की मिडफील्ड की कमजोरियों को अच्छे से भांपा और अपनी रणनीति के अनुसार खेला। भारत के पास विकल्प तो हैं, लेकिन मिडफील्ड में कोई बड़ा और प्रभावशाली खिलाड़ी नहीं था। अब यह देखना होगा कि कोच मर्केज इस कमी को सुधारने में सक्षम होते हैं या नहीं।