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Bihar Electricity News: AC होते हुए भी खपत 30 यूनिट से कम, 76 हजार उपभोक्ताओं पर कार्रवाई की तैयारी

Bihar Electricity News: AC होते हुए भी खपत 30 यूनिट से कम, 76 हजार उपभोक्ताओं पर कार्रवाई की तैयारी

Bihar Bijli News: बिहार में बिजली विभाग ने अब उन उपभोक्ताओं पर सख्त नजर रखनी शुरू कर दी है, जिनकी बिजली खपत संदिग्ध रूप से कम पाई जा रही है। विभाग के रडार पर इस समय 76 हजार उपभोक्ता हैं, जिनमें से कई के घर तीन मंजिला होने के बावजूद बिजली खपत महज 10 यूनिट तक सीमित है।

इस असामान्य आंकड़े ने विभाग की चिंता बढ़ा दी है। अब बिजली विभाग ने ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम के ज़रिए सभी कनेक्शनों की खपत, संभावित चोरी और अन्य गतिविधियों पर नजर रखनी शुरू कर दी है। यह सिस्टम हर उपभोक्ता की बिजली उपयोगिता का डेटा रियल टाइम में रिकॉर्ड कर रहा है, जिससे गड़बड़ी की तुरंत पहचान की जा सकेगी। कार्रवाई की तैयारी ज़ोरों पर है और जल्द ही कई उपभोक्ताओं के खिलाफ कड़े कदम उठाए जा सकते हैं।

बेतिया (बिहार): बिजली विभाग की ऑनलाइन मॉनिटरिंग प्रणाली ने अब ऐसे उपभोक्ताओं को पकड़ना शुरू कर दिया है, जिनकी बिजली खपत वास्तविक उपयोग से मेल नहीं खा रही है। मामला तब सामने आया जब विभाग को जानकारी मिली कि तीन मंजिला घरों में रह रहे कुछ उपभोक्ताओं की मासिक बिजली खपत सिर्फ 10 यूनिट के आसपास है, जबकि उनके घरों में एक से डेढ़ टन तक के एयर कंडीशनर चल रहे हैं।

विभाग की मॉनिटरिंग रिपोर्ट के अनुसार, कई उपभोक्ता हर दिन एसी का इस्तेमाल कर रहे हैं, बावजूद इसके उनके बिजली बिल 30 यूनिट से भी कम आ रहे हैं। यह स्थिति संदेह के घेरे में आ गई है और इन मामलों को बिजली चोरी या मीटर में छेड़छाड़ से जोड़कर देखा जा रहा है।

ऑनलाइन निगरानी से हो रही सटीक पकड़

बिजली विभाग ने हाल ही में ऑनलाइन रियल टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम शुरू किया है, जिसके जरिए हर उपभोक्ता के कनेक्शन, यूनिट खपत और संभावित बिजली चोरी की गतिविधियों को रिकॉर्ड किया जा रहा है। यह तकनीक न सिर्फ खपत की निगरानी करती है, बल्कि उसमें किसी भी गड़बड़ी को तुरंत ट्रैक भी करती है।

विभागीय अधिकारियों का कहना है कि ऐसे संदिग्ध उपभोक्ताओं को चिह्नित कर जांच शुरू कर दी गई है। आगे चलकर इन पर विधिक कार्रवाई की जाएगी, जिसमें जुर्माना और कनेक्शन काटने जैसी सख्त सजा शामिल हो सकती है।

बिजली विभाग का यह कदम राज्य में बिजली चोरी पर रोक लगाने और राजस्व नुकसान को कम करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है।

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