रान्या राव ने कैसे एयरपोर्ट से चकमा देकर सोना बाहर ले जाया? पुलिस से पूछताछ में खुलासा
रान्या राव के सोने की तस्करी मामले में पुलिस ने पूछताछ के दौरान चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। रान्या राव, जो एयरपोर्ट पर काम करती थीं, ने अपने कस्टम ड्यूटी से बचने के लिए चकमा देने के तरीके अपनाए थे। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, वह सोने के बिस्किटों और गहनों को अपनी व्यक्तिगत सामानों के साथ मिलाकर एयरपोर्ट के सुरक्षा जांच से बाहर ले जाती थीं।
रान्या राव ने सोने को अपनी जूतियों, बैग्स, और कपड़ों में छिपाकर एयरपोर्ट से पार किया। यह सब तब हुआ जब वह कस्टम अधिकारियों से बचने के लिए जानबूझकर जांच को चकमा देती थीं और कभी-कभी अपने सामान को अपारदर्शी बैग्स में छिपा देती थीं। उनकी यह तरकीब लंबे समय तक काम करती रही, लेकिन अब पुलिस के शिकंजे में आने के बाद इस तस्करी नेटवर्क का पर्दाफाश हो गया है।
पुलिस ने रान्या से पूछताछ जारी रखी है और उनके सहयोगियों और तस्करी के अन्य मामलों में शामिल व्यक्तियों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने की कोशिश की जा रही है।
रान्या राव की जमानत याचिका पर DRI ने किए चौंकाने वाले खुलासे, सोने की तस्करी में बड़ा गिरोह शामिल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में अवैध तरीके से सोने की तस्करी करने के आरोप में बेंगलुरु एयरपोर्ट पर पकड़ी गई कन्नड़ एक्ट्रेस रान्या राव की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान आज राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने अदालत में कई अहम खुलासे किए हैं। डीआरआई ने बताया कि रान्या राव के सोने की तस्करी के रैकेट में एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय गिरोह शामिल था।
रान्या राव ने कैसे पार किया ग्रीन चैनल?
डीआरआई ने अदालत में यह जानकारी दी कि रान्या राव ने अपनी तस्करी को अंजाम देने के लिए राज्य प्रोटोकॉल कार्यालय की मदद ली थी। इसके माध्यम से उन्होंने इमिग्रेशन और ग्रीन चैनल को पार किया। अधिकारियों का आरोप है कि इस मामले में संबंधित विभाग भी शामिल था, जिसने रान्या राव को ग्रीन चैनल से गुजरने की अनुमति दी, जिससे वह बिना किसी रुकावट के अपनी तस्करी का सामान एयरपोर्ट से बाहर ले जा सकी।
डीआरआई के वकील ने अदालत में कहा, “हमने ग्रीन चैनल पार करने के बाद रान्या राव को रोका था, लेकिन यह जानकर चौंकाने वाला था कि वह पहले ही इमिग्रेशन और ग्रीन चैनल पार कर चुकी थी, जिसमें कुछ सरकारी अधिकारियों का सहयोग भी था।”
सोने की तस्करी का नेटवर्क
डीआरआई के मुताबिक, रान्या राव एक बड़े सोने की तस्करी रैकेट का हिस्सा थी। इस रैकेट के माध्यम से विदेश से सोना लाकर उसे देश में अवैध तरीके से लाया जाता था। यह गिरोह अपने नेटवर्क के जरिए तस्करी को अंजाम देता था, जिसमें एयरपोर्ट के कुछ कर्मचारियों और अधिकारियों की मिलीभगत भी शामिल हो सकती है। रान्या राव के पास से जब सोना बरामद किया गया, तो वह विभिन्न रूपों में छिपाया गया था, जिसे आमतौर पर तस्करी में उपयोग किया जाता है।
पुलिस और डीआरआई की कार्रवाई
रान्या राव को पकड़े जाने के बाद डीआरआई ने एक विस्तृत जांच शुरू की है। अब यह देखा जा रहा है कि क्या अन्य लोग भी इस तस्करी नेटवर्क में शामिल हैं। फिलहाल, रान्या राव की जमानत याचिका पर अदालत ने कोई भी फैसला नहीं सुनाया है और मामले की जांच जारी है।
निष्कर्ष
यह मामला यह दिखाता है कि कैसे कुछ लोग अपने नाम और रसूख का गलत फायदा उठाकर सरकारी सिस्टम को चकमा देने की कोशिश करते हैं। डीआरआई ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के दायरे को और बढ़ा दिया है और अन्य संभावित आरोपियों की तलाश की जा रही है।