आवारा कुत्तों के मुद्दे पर हाईकोर्ट सख्त, मनपा के लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई का आदेश
आवारा कुत्तों पर नियंत्रण में नाकामी: हाईकोर्ट ने मनपा अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के दिए निर्देश
नागपुर: शहर में आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या और इस पर प्रशासन की लापरवाही को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने नागपुर महानगर पालिका (मनपा) और पुलिस आयुक्त को स्पष्ट आदेश दिए हैं कि वे इस गंभीर मामले में लापरवाह अधिकारियों की पहचान कर उनके नाम अदालत में पेश करें।
न्यायमूर्ति अतुल चांदुरकर और न्यायमूर्ति वृषाली जोशी की खंडपीठ ने 2022 में दिए गए आदेशों का पालन न होने पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि नसबंदी, टीकाकरण और आवारा कुत्तों को पकड़ने जैसे जरूरी कदम अब तक प्रभावी ढंग से नहीं उठाए गए हैं, जिससे नागरिकों की सुरक्षा खतरे में पड़ी है।
अवमानना याचिका बनी कार्रवाई की वजह
इस मामले में एक अवमानना याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि नगर निगम ने अदालत के निर्देशों की अवहेलना की है और जनहित की अनदेखी की है। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि मनपा न केवल कार्यक्रमों को लागू करने में विफल रही, बल्कि नागरिकों की सुरक्षा की चिंता भी नहीं की गई।
सभी स्तर के अधिकारी होंगे जवाबदेह
कोर्ट ने नगर आयुक्त से लेकर निचले स्तर तक के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि लापरवाही करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी से भी उनकी भूमिका स्पष्ट करने को कहा गया है।
कड़ी चेतावनी और कार्रवाई की तैयारी
खंडपीठ ने दो टूक कहा कि यदि आगे भी अदालती आदेशों की अनदेखी की गई तो संबंधित अधिकारियों पर अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। बजट न होने जैसे बहाने अब स्वीकार नहीं किए जाएंगे। अदालत ने जोर दिया कि जन सुरक्षा से जुड़े मामलों में प्रशासनिक देरी को कोई जगह नहीं मिलनी चाहिए।
अब टालमटोल नहीं चलेगा
कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि अब इस मामले में बार-बार स्थगन नहीं दिया जाएगा। यदि अधिकारियों ने आदेशों का पालन नहीं किया, तो उन्हें अदालत में तलब किया जाएगा और उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।
इस फैसले से साफ है कि अदालत अब आवारा कुत्तों की समस्या को हल्के में लेने के मूड में नहीं है, और प्रशासन को अब जवाबदेही से बचना मुश्किल होगा।