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नागपुर-छिंदवाड़ा मार्ग टोलमुक्त: पाटनसावंगी टोल नाका हटाया गया, जनता को मिली बड़ी राहत

नागपुर-छिंदवाड़ा मार्ग टोलमुक्त: पाटनसावंगी टोल नाका हटाया गया, जनता को मिली बड़ी राहत

नागपुर-छिंदवाड़ा हाईवे से हटाया गया पाटनसावंगी टोल नाका, लोगों को मिली बड़ी राहत

नागपुर, 3 अगस्त – नागपुर-छिंदवाड़ा मार्ग पर सालों से विवादों और विरोध का केंद्र बना पाटनसावंगी टोल नाका आखिरकार इतिहास बन गया है। 1 अगस्त को यह टोल नाका पूरी तरह हटा लिया गया और अब इसे भागमोहोरी के पास स्थानांतरित कर दिया गया है। इस निर्णय से आम नागरिकों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक सभी ने संतोष जताया है।

हाईवे बना टोलमुक्त, सफर हुआ आसान

पाटनसावंगी टोल हटने के बाद नागपुर से छिंदवाड़ा के बीच सफर कर रहे यात्रियों को अब 22 किलोमीटर के भीतर दो बार टोल टैक्स चुकाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। लंबे समय से यह मुद्दा लोगों के लिए सिरदर्द बना हुआ था, क्योंकि यात्रियों को कम दूरी में दोहरा शुल्क देना पड़ता था। अब इस गैरजरूरी खर्च से राहत मिल गई है।

जनआंदोलन ने लाया असर

पाटनसावंगी टोल नाके के खिलाफ वर्षों से स्थानीय नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता और जनप्रतिनिधि एकजुट होकर आंदोलन करते रहे थे। इस मुद्दे को भाजपा विधायक ने विधानसभा चुनावों के दौरान प्रमुखता से उठाया था और जनता से इसे हटवाने का वादा किया था। अब यह वादा पूरा हुआ है, जिससे राजनीतिक और सामाजिक दोनों ही स्तरों पर संतोष देखा जा रहा है।

टोल हटाने की प्रक्रिया

29 जुलाई को NHAI (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) के अधिकारियों की निगरानी में टोल हटाने की प्रक्रिया शुरू हुई, जो 1 अगस्त तक पूरी हो गई। इसके साथ ही इस मार्ग को औपचारिक रूप से टोलमुक्त घोषित कर दिया गया।

जनता की जीत की मिसाल

इस निर्णय को सिर्फ एक टोल नाका हटाने तक सीमित नहीं देखा जा रहा, बल्कि इसे जनता की एकजुटता और जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी की जीत के रूप में देखा जा रहा है। यह उदाहरण साबित करता है कि जब जनता संगठित होकर आवाज उठाती है, तो प्रशासन को भी निर्णय बदलने पर मजबूर होना पड़ता है।

महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश दोनों को फायदा

इस टोल हटने से केवल महाराष्ट्र नहीं, बल्कि छिंदवाड़ा जैसे मध्य प्रदेश के जिलों के यात्रियों को भी सीधा लाभ मिलेगा। लोग अब न केवल पैसे बचा पाएंगे, बल्कि उनका सफर भी पहले से कहीं अधिक सहज और तेज़ हो जाएगा।

निष्कर्ष:
पाटनसावंगी टोल नाके का हटना एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है, जो भविष्य में भी जनहित के मुद्दों पर सरकार और प्रशासन को संवेदनशील निर्णय लेने के लिए प्रेरित करेगा।

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