ठंडे बस्ते में गया ऐतिहासिक ज़ीरो माइल का विकास, 48 करोड़ रुपये के प्रस्ताव पर अब तक नहीं मिली मंज़ूरी
ज़ीरो माइल का विकास अधर में लटका, 48 करोड़ के प्रस्ताव को अब तक नहीं मिली हरी झंडी
नागपुर।
ऐतिहासिक और भौगोलिक दृष्टि से देश का केंद्र माना जाने वाला नागपुर का ज़ीरो माइल परिसर विकास की राह देख रहा है। चार महीने पहले इस धरोहर के संरक्षण और सौंदर्यीकरण को लेकर नागपुर महानगरपालिका (मनपा) की ओर से तैयार किया गया विस्तृत परियोजना प्रस्ताव (DPR) ठंडे बस्ते में पड़ा है। इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन को भेजे गए 48 करोड़ रुपये के सीएसआर फंड के प्रस्ताव पर भी अब तक कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है।
मनपा ने इस विकास कार्य को सीएसआर के तहत पूरा करने की योजना बनाई थी और इसके लिए इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन से आर्थिक सहायता की उम्मीद की जा रही थी। हालांकि, प्रस्ताव भेजे जाने के बाद भी निगम को कोई ठोस जवाब नहीं मिला है। यदि सीएसआर फंड की व्यवस्था नहीं हो पाती है, तो मनपा राज्य सरकार से धन की मांग करने की योजना बना रही है।
इस बीच विधानभवन विस्तार परियोजना ने ज़ीरो माइल परिसर के समीप स्थित त्रिकोणी पार्क की जमीन को भी प्रभावित किया है, जिसे फिलहाल पार्किंग हेतु आरक्षित किया गया है। जानकारी के अनुसार, यह जगह अब विधानभवन परिसर में शामिल की जा सकती है, जिससे ज़ीरो माइल का प्रस्तावित क्षेत्र सीमित हो सकता है।
चार महीने पहले मनपा आयुक्त की अध्यक्षता में एक बैठक में हैरिटेज कमेटी की उपस्थिति में ज़ीरो माइल के विकास का प्रस्ताव रखा गया था। इसमें परिसर के सौंदर्यीकरण, यातायात प्रबंधन, प्रकाश व्यवस्था और सार्वजनिक सुविधाओं के उन्नयन जैसे कार्य शामिल थे। लेकिन इस दिशा में किसी तरह की ठोस कार्रवाई या प्रगति अब तक सामने नहीं आई है।
ऐसे में यह ऐतिहासिक स्थल, जो नागपुर की पहचान का प्रतीक है, फिलहाल उपेक्षा का शिकार होता दिखाई दे रहा है। स्थानीय नागरिक और इतिहासप्रेमी इस स्थिति को लेकर चिंता जता रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि ज़ीरो माइल के गौरव को पुनर्स्थापित करने के लिए त्वरित निर्णय और कार्रवाई की जाए।