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महिला शतरंज विश्व कप: दिव्या देशमुख ने जीता खिताब, बनी भारत की 88वीं ग्रैंडमास्टर

महिला शतरंज विश्व कप: दिव्या देशमुख ने जीता खिताब, बनी भारत की 88वीं ग्रैंडमास्टर

दिव्या देशमुख ने रचा इतिहास: फिडे महिला विश्व कप जीता, बनी भारत की चौथी महिला ग्रैंडमास्टर

नागपुर/नई दिल्ली – भारतीय शतरंज में एक नया अध्याय जुड़ गया है। नागपुर की 18 वर्षीय दिव्या देशमुख ने रविवार को 2025 फिडे महिला शतरंज विश्व कप जीतकर न सिर्फ देश का मान बढ़ाया, बल्कि वह भारत की 88वीं और चौथी महिला ग्रैंडमास्टर भी बन गईं।

इस ऐतिहासिक जीत में दिव्या ने टूर्नामेंट की सबसे अनुभवी खिलाड़ी और शीर्ष दावेदार कोनेरू हम्पी को हराकर फाइनल में बाज़ी मारी। दोनों भारतीयों के बीच यह फाइनल मुकाबला क्लासिकल राउंड्स में बराबरी पर छूटा, लेकिन टाई-ब्रेक में दिव्या का आक्रामक और रणनीतिक खेल निर्णायक साबित हुआ।

संतुलित शुरुआत, तनावपूर्ण फाइनल

क्लासिकल राउंड्स में दोनों मुकाबले ड्रॉ पर समाप्त हुए—पहला गेम 41 चालों में और दूसरा 34 चालों में। दोनों खिलाड़ियों ने बेहद सतर्कता से खेलते हुए एक-दूसरे की रणनीति का जवाब दिया और किसी को भी बढ़त नहीं मिल पाई।

टाई-ब्रेक में दिखाया दमखम

निर्णायक टाई-ब्रेक मुकाबले में समय सीमित था, लेकिन दिव्या ने यहां शानदार मानसिक संतुलन दिखाया। पहले टाई-ब्रेक गेम में उन्होंने सफेद मोहरों से खेलते हुए पेट्रोव डिफेंस का कुशलतापूर्वक सामना किया और ड्रॉ कराया।

दूसरे टाई-ब्रेक गेम में हम्पी ने क्वीन्स गैम्बिट डिक्लाइन्ड: कैटलन वेरिएशन का इस्तेमाल किया, लेकिन दिव्या की स्थिति पर पकड़ मजबूत होती गई। समय प्रबंधन में बेहतर और रणनीति में पैनी दिव्या ने हम्पी की एक बड़ी चूक का पूरा लाभ उठाया और निर्णायक जीत दर्ज की।

जीत के बाद भावुक हुईं दिव्या

जैसे ही जीत की पुष्टि हुई, दिव्या देशमुख भावनाओं में बह गईं। आंखों से आंसू छलक पड़े—वो आंसू एक लंबी यात्रा, अथक मेहनत और अटूट विश्वास के गवाह थे।

भारत के लिए गौरवशाली क्षण

इस ऐतिहासिक जीत के साथ दिव्या देशमुख ने भारत की चौथी महिला ग्रैंडमास्टर होने का गौरव पाया और देश की 88वीं ग्रैंडमास्टर बनीं। साथ ही, वह महिला विश्व कप, एशियन चैंपियनशिप और कॉमनवेल्थ—तीनों खिताब जीतने वाली भारत की पहली महिला शतरंज खिलाड़ी भी बन गई हैं।

भारत में शतरंज के लिए यह क्षण न सिर्फ गौरवपूर्ण है, बल्कि नई पीढ़ी के खिलाड़ियों के लिए प्रेरणादायक भी। दिव्या की यह उपलब्धि आने वाले समय में भारतीय शतरंज को और ऊंचाइयों तक पहुंचाने में मील का पत्थर साबित हो सकती है।

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