महाराष्ट्र राज्य आवास नीति-2025 घोषित: छात्रों और वरिष्ठ नागरिकों को स्टाम्प शुल्क व एफएसआई में मिलेगी छूट
राज्य सरकार ने घोषित की महाराष्ट्र आवास नीति-2025, छात्रों और वरिष्ठ नागरिकों को मिलेगी रियायतें
मुंबई/नागपुर, 24 जुलाई — करीब 18 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद महाराष्ट्र सरकार ने नई राज्य आवास नीति-2025 की घोषणा कर दी है। इसका उद्देश्य “सभी के लिए आवास” और “स्लम-फ्री महाराष्ट्र” जैसे व्यापक लक्ष्यों को हासिल करना है। नई नीति में समाज के कई वर्गों के लिए अहम प्रावधान किए गए हैं, जिनमें छात्र, वरिष्ठ नागरिक, मजदूर और आर्थिक रूप से कमजोर तबके (EWS) शामिल हैं।
इस नीति के तहत छात्रों और वरिष्ठ नागरिकों को आवासीय परियोजनाओं में स्टाम्प शुल्क और एफएसआई (फ्लोर एरिया इंडेक्स) में रियायत दी जाएगी, जिससे इन वर्गों के लिए किफायती आवास की राह आसान हो सकेगी। इसके साथ ही, राज्य सरकार ने ‘वॉक-टू-वर्क’ की अवधारणा को बढ़ावा देने के लिए औद्योगिक क्षेत्रों के पास 10% से 30% भूखंडों को आवासीय उपयोग के लिए आरक्षित करने का निर्णय लिया है। इससे मजदूरों को अपने कार्यस्थल के पास ही आवास उपलब्ध हो सकेगा।
नीति के प्रमुख बिंदु:
- स्लम पुनर्विकास में तेजी: रुक चुकी स्लम पुनर्विकास योजनाओं को गति देने के लिए क्लस्टर पुनर्विकास मॉडल और विशेष प्रोत्साहन योजनाओं को लागू किया जाएगा।
- किफायती आवास के लिए भूमि बैंक: सरकारी भूमि—जैसे कि राजस्व, वन और अन्य विभागों की जमीन—का उपयोग कर एक ‘भूमि बैंक’ बनाया जाएगा, जिससे किफायती आवास के निर्माण को बढ़ावा मिलेगा।
- निर्माण स्थलों की सुरक्षा: नीति के अनुसार, अब निर्माण स्थलों पर होने वाली दुर्घटनाओं के लिए डेवलपर को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। इस संदर्भ में ‘मुख्य नियोक्ता’ की परिभाषा को संशोधित करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
- ईडब्ल्यूएस वर्ग पर फोकस: पहली बार आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं, जिससे इस वर्ग को सस्ती दरों पर घर मुहैया कराए जा सकें।
हालांकि राज्य सरकार की यह नई नीति कई सकारात्मक बदलावों के संकेत देती है, लेकिन इसके कार्यान्वयन की वास्तविक सफलता आने वाले समय में ही तय होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह नीति सही ढंग से लागू होती है तो यह शहरी और अर्ध-शहरी इलाकों की आवास संबंधी चुनौतियों का समाधान बन सकती है।
नीति का मूल्यांकन अभी शेष है, लेकिन उम्मीदें बड़ी हैं।