Headline
आचार्य प्रमोद कृष्णम का तेजस्वी यादव पर बड़ा हमला: कहा, “अगर CM बने तो बिहार में लागू करेंगे शरिया कानून”
IRCTC घोटाला: लालू प्रसाद, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव पर आज से कोर्ट में ट्रायल शुरू, भ्रष्टाचार के मामलों में चलेगा मुकदमा
‘21वीं सदी भारत और आसियान की सदी’ — आसियान शिखर सम्मेलन में बोले PM मोदी, साझा विकास पर दिया जोर
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मेरठ में बुलडोजर एक्शन, सेंट्रल मार्केट का अवैध कॉम्प्लेक्स ध्वस्त
नागपुर के नंदनवन में 12 वर्षीय मासूम से दरिंदगी: एक आरोपी गिरफ्तार, दूसरा फरार
राक्षस पिता की हैवानियत: अंढेरा में दो जुड़वां बच्चियों की हत्या, सड़ी-गली लाशें बरामद
ओबीसी महासंघ अध्यक्ष बबनराव तायवाड़े ने डॉक्टर आत्महत्या मामले पर दुख व्यक्त किया, SIT गठित कर जांच की मांग की
BJP विधायक फुके का ‘कमीशन’ बम: भंडारा नगर परिषद में करोड़ों के घोटाले का दावा
मुख्यमंत्री फडणवीस का ऑपरेशन क्लीनअप: अवैध बांग्लादेशियों की ब्लैकलिस्ट तैयार, फर्जी दस्तावेज़ होंगे रद्द

मुंबई सीरियल ब्लास्ट: 19 साल बाद बेकसूर साबित हुए 4 आरोपी, अमरावती जेल से रिहा

मुंबई सीरियल ब्लास्ट: 19 साल बाद बेकसूर साबित हुए 4 आरोपी, अमरावती जेल से रिहा

19 साल बाद आया इंसाफ: मुंबई सीरियल ब्लास्ट मामले में चार निर्दोषों की रिहाई, जांच प्रक्रिया पर उठे सवाल

अमरावती/मुंबई:
मुंबई लोकल ट्रेन में 11 जुलाई 2006 को हुए दिल दहला देने वाले सिलसिलेवार बम धमाकों में 180 से अधिक लोग मारे गए थे। इस हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया था, और उसके बाद शुरू हुई जांच में कई गिरफ्तारियां की गईं। लेकिन अब, करीब दो दशक बाद, इस मामले ने एक नया मोड़ ले लिया है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले में चार आरोपियों—तनवीर अहमद, मोहम्मद माजिद, सोहेल मोहम्मद शेख और जमीर अहमद—को निर्दोष करार देते हुए रिहा कर दिया है। चारों को अमरावती सेंट्रल जेल से रिहा किया गया।

इन आरोपियों ने 2015 से अमरावती जेल में सजा काटनी शुरू की थी। 2019 में बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील दायर करने के बाद उनकी कानूनी लड़ाई शुरू हुई, जो अब रंग लाई है। इस मुकदमे में वकीलों की टीम—एडवोकेट सिमी शेख, एडवोकेट तंबोली, एडवोकेट युग चौधरी, एडवोकेट वहाब खान और एडवोकेट शाहिद नदीम—ने अहम भूमिका निभाई।

रिहाई के बाद चारों ने अपने परिजनों से मुलाकात की और रातोंरात मुंबई के लिए रवाना हो गए। जेल के बाहर उनके परिवारजन भावुक माहौल में उन्हें गले लगाते नजर आए। यह पल न्याय की जीत और एक लंबी कानूनी लड़ाई के अंत का प्रतीक बना।

हालांकि, महाराष्ट्र सरकार ने हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है। फिर भी यह सवाल उठना लाजमी है कि यदि ये चारों निर्दोष थे, तो उन्हें 19 साल तक जेल में क्यों रखा गया? इस फैसले ने जांच एजेंसियों की भूमिका और प्रक्रिया की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

इन 19 वर्षों में न केवल इन चारों ने जेल की सलाखों के पीछे अपनी जिंदगी गुजारी, बल्कि उनके परिवारों ने भी सामाजिक कलंक, मानसिक यातना और अपनों से दूरी का दर्द झेला। अब जबकि वे निर्दोष साबित हो चुके हैं, उनके पुनर्वास और न्यायिक प्रणाली की जवाबदेही को लेकर नई बहस छिड़ना तय है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top