डेढ़ लाख किसानों को फसल ऋण से वंचित: राष्ट्रीय और निजी बैंक ऋण वितरण में कर रहे हैं संघर्ष
अमरावती में 1.5 लाख किसान फसल ऋण से वंचित, बैंकों की धीमी प्रक्रिया बनी बड़ी बाधा
अमरावती: खरीफ सीजन की शुरुआत के साथ जहां किसानों को फसल ऋण की सबसे अधिक जरूरत होती है, वहीं अमरावती जिले के करीब 1.5 लाख किसान अब तक ऋण प्राप्त नहीं कर पाए हैं। जिले में इस वर्ष 1 अप्रैल से शुरू हुई ऋण वितरण प्रक्रिया में कुल लक्ष्य का केवल 60% ही ऋण वितरित हो सका है। अब तक 73,633 किसानों को ही लाभ मिल पाया है।
इस सीजन के लिए अमरावती जिले को ₹1,650 करोड़ का फसल ऋण लक्ष्य दिया गया है। हालांकि, बैंकों की सुस्ती और चयनात्मक रवैये के चलते बड़ी संख्या में किसान अब भी इंतजार में हैं। ऋण वितरण में सबसे अधिक योगदान जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक का रहा, जिसने अपने 1.25 लाख सदस्यों में से 46,387 को ऋण वितरित किया।
राष्ट्रीय और निजी बैंक पीछे हटे
राष्ट्रीय और सार्वजनिक बैंकों की सुस्ती इस संकट का प्रमुख कारण बनी हुई है।
- राष्ट्रीय बैंकों ने अपने 87,100 सदस्यों में से केवल 25,577 को ऋण दिया।
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 10,400 में से केवल 895 किसानों तक ऋण पहुंचाया।
- ग्रामीण बैंक ने भी अपने 2,500 सदस्यों में से केवल 774 को कर्ज दिया है।
छोटे किसानों को मिल रही है कम प्राथमिकता
हालांकि इस वर्ष फसल ऋण की सीमा ₹3 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख कर दी गई है, फिर भी छोटे और सीमांत किसानों को ऋण देने में बैंकों की अनिच्छा बनी हुई है। बैंक फसल के प्रकार के आधार पर ऋण बांट रहे हैं, जिससे सीमांत किसानों को दरकिनार किया जा रहा है। यह वर्ग जिले के किसानों में बड़ी संख्या में मौजूद है।
बढ़ती चिंता
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय पर सभी पात्र किसानों को ऋण नहीं मिला, तो आगामी महीनों में खेती पर गंभीर असर पड़ सकता है। खरीफ सीजन में देरी और संसाधनों की कमी उत्पादन को प्रभावित कर सकती है।
कृषि विभाग और जिला प्रशासन अब बैंकों पर दबाव बना रहे हैं कि वे वितरण प्रक्रिया में तेजी लाएं और पात्र किसानों को प्राथमिकता से ऋण उपलब्ध कराएं। लेकिन बैंकों की वर्तमान गति को देखते हुए यह एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है।