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नागपुर हिंसा: उच्च न्यायालय ने आठ आरोपियों को दी जमानत, मार्च में कथित आयत लिखी चादर जलाने को लेकर भड़की थी हिंसा
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नागपुर हिंसा: उच्च न्यायालय ने आठ आरोपियों को दी जमानत, मार्च में कथित आयत लिखी चादर जलाने को लेकर भड़की थी हिंसा

नागपुर हिंसा: उच्च न्यायालय ने आठ आरोपियों को दी जमानत, मार्च में कथित आयत लिखी चादर जलाने को लेकर भड़की थी हिंसा

नागपुर हिंसा मामले में आठ आरोपियों को राहत, हाईकोर्ट से मिली जमानत

नागपुर – मार्च 2025 में नागपुर में भड़की सांप्रदायिक हिंसा के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने आठ आरोपियों को जमानत दे दी है। जिन आरोपियों को जमानत मिली है, उनमें इकबाल अंसारी, एजाज अंसारी, अब्बार अंसारी, इज़हार अंसारी, अशफाकुल्ला अमीनउल्ला, मुज़म्मिल अंसारी, मोहम्मद राहिल और मोहम्मद यासिर शामिल हैं।

मार्च के मध्य में शहर के गांधीगेट इलाके में सांप्रदायिक तनाव तब बढ़ गया जब विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने औरंगजेब की प्रतीकात्मक कब्र को शिवाजी प्रतिमा के सामने जलाया। इस दौरान एक धार्मिक चादर जलाने की खबर फैलते ही शहर में तनाव फैल गया, जो देखते ही देखते हिंसक झड़पों में तब्दील हो गया।

शाम होते-होते मोमिनपुरा, तकिया, अंसारनगर और डोबी जैसे इलाकों से भारी संख्या में लोग एकत्र होकर गांधीगेट की ओर बढ़ने लगे। भीड़ उग्र हो गई और पथराव व आगजनी की घटनाएं शुरू हो गईं। हंसपुरी, महल और भालदारपुरा जैसे क्षेत्रों में कई घरों और वाहनों को निशाना बनाया गया।

हिंसा इतनी व्यापक थी कि दंगाइयों ने करीब 100 से अधिक घरों और वाहनों में तोड़फोड़ की। कई सरकारी वाहन, क्रेन और निजी संपत्ति को आग के हवाले कर दिया गया। हालात पर काबू पाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा, लेकिन दंगाई हथियारों से लैस थे और सड़कों पर तलवारें, चाकू और लाठियां लेकर उतर आए।

इस हिंसा में 3 डीसीपी समेत कुल 135 पुलिसकर्मी घायल हुए। बाद में पुलिस ने बड़े पैमाने पर कार्रवाई करते हुए 150 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया, जिसमें हिंसा का कथित मुख्य साजिशकर्ता फहीम खान भी शामिल था। उसके खिलाफ और सात अन्य आरोपियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत मामले दर्ज किए गए।

अब, बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने आठ आरोपियों को जमानत देते हुए यह संकेत दिया है कि मामले में आगे की जांच के साथ-साथ न्यायिक प्रक्रिया भी जारी रहेगी। हालांकि, यह फैसला उन पर लगे आरोपों से अंतिम रूप से बरी होने की गारंटी नहीं है, लेकिन यह जमानत आदेश हिंसा से जुड़े मुकदमों में एक अहम मोड़ माना जा रहा है।

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