Headline
ओबीसी महासंघ अध्यक्ष बबनराव तायवाड़े ने डॉक्टर आत्महत्या मामले पर दुख व्यक्त किया, SIT गठित कर जांच की मांग की
BJP विधायक फुके का ‘कमीशन’ बम: भंडारा नगर परिषद में करोड़ों के घोटाले का दावा
मुख्यमंत्री फडणवीस का ऑपरेशन क्लीनअप: अवैध बांग्लादेशियों की ब्लैकलिस्ट तैयार, फर्जी दस्तावेज़ होंगे रद्द
उपराजधानी नागपुर में बेमौसम बारिश की दस्तक; सुबह से जारी झमाझम बारिश, मौसम विभाग ने 28 अक्टूबर तक येलो अलर्ट जारी किया
नागपुर: भाई दूज मनाने जा रहे पिता-पुत्री की सड़क हादसे में दर्दनाक मौत, खापरी मार्ग पर हुई दुर्घटना
धंतोली पुलिस की बड़ी कार्रवाई: एमडी पाउडर के साथ तीन आरोपी गिरफ्तार, ₹8.73 लाख का माल जब्त
काछीपुरा में BKC की तर्ज़ पर बनेगा भव्य व्यावसायिक केंद्र; नितिन गडकरी ने 20 अंतरराष्ट्रीय मार्केट और 4 स्पोर्ट्स सेंटर की घोषणा की
उपराजधानी नागपुर में मौसम का मिजाज बदला, शाम को झमाझम बारिश से गर्मी से मिली राहत
यूपी: संभल में चलती कार में लगी भीषण आग, यात्रियों ने कूदकर बचाई जान

हिंदी विवाद पर नाना पटोले का बड़ा बयान: फडणवीस-राज ठाकरे की मिलीभगत से रची गई राजनीतिक साजिश

हिंदी विवाद पर नाना पटोले का बड़ा बयान: फडणवीस-राज ठाकरे की मिलीभगत से रची गई राजनीतिक साजिश

हिंदी को अनिवार्य करने के फैसले पर गरमाई सियासत, नाना पटोले बोले – “यह राजनीतिक साजिश, असली मुद्दों से ध्यान भटकाने की चाल”

नागपुर – राज्य में शिक्षा विभाग द्वारा जारी नए शासन निर्णय (जीआर) के बाद हिंदी को लेकर एक बार फिर विवाद खड़ा हो गया है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे और शिवसेना (उद्धव गुट) प्रमुख उद्धव ठाकरे इस फैसले का खुलकर विरोध कर रहे हैं। वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने इस पूरे विवाद को एक “राजनीतिक साजिश” करार देते हुए भाजपा और मनसे पर तीखा हमला बोला है।

पटोले का कहना है कि हिंदी को पहली कक्षा से अनिवार्य करने का मुद्दा शिक्षा से अधिक राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने कहा कि यह फैसला आगामी नगरपालिका, नगर निगम और जिला परिषद चुनावों के मद्देनज़र जनता का ध्यान मूल समस्याओं से हटाने के लिए लिया गया है।

“यह केवल एक एजेंडा है ताकि वोटों का ध्रुवीकरण हो और भाजपा-मनसे को चुनावी फायदा मिले,” नाना पटोले ने आरोप लगाया। उन्होंने आशंका जताई कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और राज ठाकरे की हालिया बैठक के बाद ही यह विवादास्पद जीआर सामने आया, जो किसी गहरी राजनीतिक चाल का संकेत देता है।

मराठी की अनदेखी पर सवाल
पटोले ने कहा कि महाराष्ट्र में मराठी भाषा और संस्कृति की रक्षा करना बेहद जरूरी है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि शिक्षा में हिंदी को थोपा नहीं जाना चाहिए, खासकर पहली कक्षा जैसे शुरुआती स्तर पर। लेकिन उन्होंने साथ ही यह भी जोड़ा कि हिंदी भाषा के नाम पर जो विवाद खड़ा किया जा रहा है, वह शिक्षण से अधिक सियासी रणनीति है।

“बेरोजगारी, महंगाई और किसानों की समस्याओं से भाग रही सरकार”
नाना पटोले ने सरकार पर आरोप लगाया कि राज्य में बेरोजगारी, महंगाई, और किसानों की समस्याओं जैसे गंभीर मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए यह भाषा विवाद पैदा किया गया है। उन्होंने कहा कि बेमौसम बारिश से किसानों की फसलें बर्बाद हुई हैं और कर्जमाफी की मांग उठ रही है, लेकिन इन समस्याओं पर चर्चा करने के बजाय सरकार भावनात्मक मुद्दों को हवा दे रही है।

वोट बैंक की राजनीति का आरोप
पटोले ने इस पूरे घटनाक्रम को “वोट बैंक की राजनीति” बताया और कहा कि राज्य सरकार अब जनहित की बजाय राजनीतिक लाभ के लिए फैसले ले रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर पहले सरकार कह रही थी कि हिंदी अनिवार्य नहीं होगी, तो फिर अचानक यह आदेश क्यों और कैसे जारी हुआ?

कुल मिलाकर, राज्य की राजनीति में हिंदी भाषा को लेकर छिड़ी बहस ने नया मोड़ ले लिया है, और नाना पटोले के आरोपों ने सरकार और मनसे की मंशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top