उद्धव ठाकरे पर बावनकुले का तीखा हमला: “पराजय के डर से किया गया लाचार प्रलाप”
शिवसेना स्थापना दिवस पर उद्धव ठाकरे के भाषण पर भड़के बावनकुले, बोले – “जनाधार खत्म होने पर बढ़ता है शोर”
मुंबई – शिवसेना के स्थापना दिवस के अवसर पर पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर लगाए गए आरोपों को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति गरमा गई है। ठाकरे के तीखे बयान पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने जोरदार पलटवार करते हुए उनके भाषण को “पराजय के डर से किया गया एक लाचार प्रलाप” बताया।
बावनकुले ने अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट पर पोस्ट करते हुए लिखा, “जब जनाधार खत्म हो जाता है, तब शोर बढ़ जाता है। उद्धव ठाकरे का भाषण इसी बेचैनी और हताशा का परिणाम था।” उन्होंने कहा कि जो नेता कभी शिवसेना, शिव और हिंदुत्व की बात करते थे, वे अब कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी के सामने नतमस्तक हो चुके हैं।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने ठाकरे पर आरोप लगाया कि उन्होंने शिवसेना की विचारधारा से समझौता कर केवल सत्ता की राजनीति की। “शिवसेना का दावा करने वाले उद्धवजी खुद ‘सेना’ खो बैठे हैं और ‘शिव’ व ‘हिंदुत्व’ जैसे दो मजबूत स्तंभों को भी छोड़ दिया है,” बावनकुले ने तंज कसा।
उद्धव ठाकरे के इस आरोप पर कि भाजपा मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करना चाहती है, बावनकुले ने कहा कि “मुंबई हमारी है” कहने वाले पहले ये बताएं कि जब महानगरपालिका में उनके पास सत्ता थी, तब मराठी जनता के लिए उन्होंने क्या किया? उन्होंने कहा कि झोपड़पट्टी पुनर्विकास, मेट्रो प्रोजेक्ट्स और कोस्टल रोड जैसी योजनाएं भाजपा और फडणवीस सरकार की देन हैं, जिन्हें मुंबई की जनता भली-भांति जानती है।
बावनकुले ने ठाकरे को “ऑनलाइन नेता” बताते हुए कहा कि “जब मोदी, शाह और फडणवीस जनता के बीच में थे, तब उद्धवजी मातोश्री से ऑनलाइन भाषण तक ही सीमित रहे।” उन्होंने दावा किया कि अब महाराष्ट्र की जनता उद्धव ठाकरे की राजनीतिक शैली और कार्यशैली को समझ चुकी है और आने वाले चुनावों में इसका जवाब जरूर देगी।
अपने तीखे बयान में उन्होंने यह भी कहा, “आप जहर उगलते रहिए, लेकिन जनता अब जान चुकी है कि आपके पास न जनसेवा का जज़्बा है और न जनकल्याण की भावना। आपका भविष्य केवल व्यंग्य और तंज तक सीमित रह गया है।”
बावनकुले के इस हमले के बाद शिवसेना (उद्धव गुट) की ओर से क्या प्रतिक्रिया आती है, इस पर भी अब राजनीतिक हलकों की नजरें टिकी हैं।