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चंद्रशेखर बावनकुले के फोन कॉल से बढ़ा विवाद, बच्चू कडु ने भाषा को लेकर जताई नाराजगी; कही तीखी बात

चंद्रशेखर बावनकुले के फोन कॉल से बढ़ा विवाद, बच्चू कडु ने भाषा को लेकर जताई नाराजगी; कही तीखी बात

किसानों की मांगों को लेकर बच्चू कडू का अन्न बहिष्कार आंदोलन जारी, बावनकुले की कॉल से बढ़ा विवाद

अमरावती: किसानों की सम्पूर्ण कर्जमाफी, उनके बच्चों के लिए छात्रवृत्ति, दिव्यांग और विधवा महिलाओं को ₹6000 मासिक मानदेय जैसे मांगों को लेकर विधायक बच्चू कडू का अमरावती जिले के मोजारी गांव में चल रहा अन्न बहिष्कार आंदोलन चौथे दिन भी जारी रहा। आंदोलन को अब राज्यभर से नेताओं और संगठनों का समर्थन मिलने लगा है। हालांकि इस बीच सरकार के साथ बातचीत की कोशिश विवाद की वजह बन गई।

बावनकुले की कॉल बनी विवाद का कारण
राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने बच्चू कडू को फोन कर अनशन खत्म करने की अपील की, लेकिन यह बातचीत उलटा असर ले आई। कडू ने आरोप लगाया कि बावनकुले की भाषा असंवेदनशील और अपमानजनक थी। उन्होंने कहा, “सरकार चाहती है कि हम आंदोलन वापस लें, लेकिन जिस तरीके से कहा गया वह अस्वीकार्य है। अगर कॉल रिकॉर्ड होता, तो साफ होता कि भाषा में बदमाशी और आदेश देने का लहजा था। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।”

“बदमाशी बर्दाश्त नहीं करेंगे” – कडू
बच्चू कडू ने तीखे लहजे में कहा कि उन्हें राजस्व मंत्री से ऐसी भाषा की उम्मीद नहीं थी। उन्होंने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा, “जब महिलाओं की सहायता पर निर्णय लेना था तब कोई बैठक नहीं हुई, अब जब हम आवाज उठा रहे हैं तो हमें नियमों की दुहाई दी जा रही है।” कडू ने साफ कहा कि आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक किसानों और वंचित वर्ग की मांगों पर ठोस कदम नहीं उठाए जाते।

बावनकुले ने खारिज किए आरोप
उधर, राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने बच्चू कडू के सभी आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, “मैंने पूरी विनम्रता के साथ बात की थी और उनसे मुंबई आकर बैठक करने का आग्रह किया। मैंने जिला प्रशासन को भी उनके संपर्क में रहने को कहा है। उनकी कई मांगें अलग-अलग विभागों से जुड़ी हैं, हम इस पर सकारात्मक बातचीत के लिए तैयार हैं।”

आंदोलन को मिल रहा समर्थन
कडू के इस अनशन को धीरे-धीरे विभिन्न सामाजिक संगठनों और विपक्षी नेताओं का समर्थन मिल रहा है। उनका वजन दो किलो तक घट गया है, फिर भी वे आंदोलन जारी रखने पर अडिग हैं।

इस पूरे घटनाक्रम ने राज्य की सियासत में गर्मी ला दी है और अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या सरकार आंदोलनकारियों से संवाद कर समाधान की दिशा में कोई ठोस कदम उठाएगी।

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