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“बयानों पर नहीं कोई पछतावा, ममता बनर्जी और सीपीएम के मुख्यमंत्री करते हैं बराबर प्यार: नितिन गडकरी”

“बयानों पर नहीं कोई पछतावा, ममता बनर्जी और सीपीएम के मुख्यमंत्री करते हैं बराबर प्यार: नितिन गडकरी”

नागपुर में नितिन गडकरी की किताब ‘संघातील मानवी व्यवस्थापन’ का हुआ विमोचन, बोले – “बयानों पर नहीं कोई पछतावा, ममता और सीपीएम मुख्यमंत्री करते हैं उतना ही प्रेम”

नागपुर: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी अब राजनीति से आगे बढ़ते हुए साहित्य की दुनिया में भी कदम रख चुके हैं। शुक्रवार को नागपुर के वनमति सभागृह में उनकी नई मराठी पुस्तक ‘संघातील मानवी व्यवस्थापन’ का विमोचन किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील अंबेकर और वरिष्ठ पत्रकार विवेक घलसासी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम में शहर के अनेक गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति रही।

कार्यक्रम के दौरान नितिन गडकरी ने पुस्तक लेखन के पीछे की प्रेरणा और संघ के उनके जीवन में प्रभाव पर विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि संघ और एबीवीपी ने उनके व्यक्तित्व निर्माण में अहम भूमिका निभाई है। गडकरी ने स्पष्ट रूप से कहा, “मैं संघ का अधिकृत पदाधिकारी नहीं हूं, पर जो सीखा है वह जीवन में उतारा है। यही मेरी लेखनी का आधार बना है।”

राजनीति में अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहने वाले गडकरी ने इस मौके पर कहा, “मेरे बयानों को लेकर मुझे कोई पछतावा नहीं है। मैं वही बोलता हूं जो सोचता हूं।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि “संघ से मिले विचारों की ही देन है कि मुझे सीपीएम के मुख्यमंत्री जितना प्यार करते हैं, उतना ही स्नेह ममता बनर्जी भी देती हैं।”

पुस्तक के विमोचन पर वरिष्ठ पत्रकार विवेक घलसासी ने कहा, “इस किताब में बताया गया है कि संघ में व्यक्तित्व का निर्माण कैसे होता है और ऐसे व्यक्ति समाज और राष्ट्र के लिए कैसे योगदान करते हैं। संघ का अनुशासन, समर्पण और सहजता एक अनूठा अनुभव है।”

संघ के प्रचार प्रमुख सुनील अंबेकर ने भी अपने संबोधन में संघ की कार्यशैली पर प्रकाश डालते हुए कहा, “संघ में कार्यकर्ता जब सीखता है, तब उसे खुद महसूस नहीं होता, लेकिन जीवन के मोड़ों पर यह शिक्षा ही उसे समाज के लिए प्रेरित करती है। संघ केवल शाखा तक सीमित नहीं है, यह समाज में जाकर सेवा करता है।”

‘संघातील मानवी व्यवस्थापन’ नितिन गडकरी की दूसरी पुस्तक है, जिसमें उन्होंने संघ में स्वयंसेवक के तौर पर मिले अनुभवों और नेतृत्व कौशल को साझा किया है। यह किताब न केवल संघ के कार्यपद्धति को समझने का माध्यम है, बल्कि एक प्रेरणादायक जीवन दर्शन भी प्रस्तुत करती है।

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