Weather Update: विदर्भ में देरी से पहुंचेगा मानसून, पश्चिमी उच्च दबाव क्षेत्र से धीमी होगी बारिश की रफ्तार
विदर्भ सहित महाराष्ट्र में मानसून की रफ्तार पर ब्रेक, रूस के उच्च दबाव क्षेत्र का दिखेगा असर, किसानों को सतर्क रहने की सलाह
नागपुर – इस साल मानसून ने भारत में समय से पहले दस्तक दी है, लेकिन इसके आगे की रफ्तार में अचानक ब्रेक लग सकता है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि पश्चिमी रूस में बन रहा उच्च दबाव क्षेत्र पहली बार भारत के मानसून पर प्रभाव डालने वाला है, जिससे विशेष रूप से महाराष्ट्र और विदर्भ में मानसून की प्रगति धीमी हो सकती है।
मौसम विश्लेषक अक्षय देवरस के अनुसार, 27 मई से महाराष्ट्र में मौसम शुष्क हो जाएगा और तापमान में भी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। इस बदलाव का असर 5 जून तक बना रह सकता है। ऐसे में संभावना है कि कोंकण को छोड़कर राज्य के बाकी हिस्सों में बारिश की गतिविधि थम जाए।
शुष्क हवाएं बनेंगी बाधा
रूस में बनने वाला उच्च दबाव क्षेत्र हवाओं की दिशा बदल देगा, जिससे पाकिस्तान और अफगानिस्तान से शुष्क हवाएं भारत की ओर आएंगी। यह हवाएं अरब सागर और महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों में फैलेंगी, जिससे मानसूनी बादलों की गति धीमी हो जाएगी। इस प्रकार, पहली बार विदेशी जलवायु प्रणाली का सीधा असर भारतीय मानसून पर देखा जा सकता है।
किसानों को चेतावनी – जल्दबाज़ी न करें
मौजूदा हालात को देखते हुए कृषि विभाग ने किसानों को विशेष रूप से सावधान रहने को कहा है। हाल ही में महाराष्ट्र के कई हिस्सों में समय से पहले तेज बारिश हुई है, जिससे कुछ किसान बुवाई की तैयारी में लग गए थे। विभाग ने अपील की है कि किसान मानसून की स्थिरता और निरंतरता के संकेत मिलने तक बुआई में जल्दबाज़ी न करें, विशेष रूप से वे जो वर्षा आधारित खेती करते हैं।
कोंकण में भारी बारिश, अन्य क्षेत्रों में राहत
हालांकि दक्षिण कोंकण और गोवा के तटीय इलाकों में पिछले कुछ दिनों से भारी बारिश जारी है, लेकिन विदर्भ, मराठवाड़ा और मध्य महाराष्ट्र में फिलहाल मौसम शुष्क बना रह सकता है। अगले 36 घंटों में राज्य के कुछ हिस्सों में भारी बारिश की संभावना जताई गई है, लेकिन यह अस्थायी हो सकती है।
नदी-नालों के उफान और सामान्य जनजीवन पर असर के साथ-साथ कुछ इलाकों में फसलों को भी नुकसान हुआ है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि मानसून में और देरी हुई तो खरीफ फसलों की बुआई पर असर पड़ सकता है।
देश में मानसून के आगमन और प्रगति को लेकर एक तरफ जहां उत्साह है, वहीं अब रूस की जलवायु गतिविधियों ने नई चिंता खड़ी कर दी है। अगले कुछ दिनों तक मौसम विभाग और विशेषज्ञों की नजर इस पर टिकी रहेगी।