Headline
‘21वीं सदी भारत और आसियान की सदी’ — आसियान शिखर सम्मेलन में बोले PM मोदी, साझा विकास पर दिया जोर
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मेरठ में बुलडोजर एक्शन, सेंट्रल मार्केट का अवैध कॉम्प्लेक्स ध्वस्त
नागपुर के नंदनवन में 12 वर्षीय मासूम से दरिंदगी: एक आरोपी गिरफ्तार, दूसरा फरार
राक्षस पिता की हैवानियत: अंढेरा में दो जुड़वां बच्चियों की हत्या, सड़ी-गली लाशें बरामद
ओबीसी महासंघ अध्यक्ष बबनराव तायवाड़े ने डॉक्टर आत्महत्या मामले पर दुख व्यक्त किया, SIT गठित कर जांच की मांग की
BJP विधायक फुके का ‘कमीशन’ बम: भंडारा नगर परिषद में करोड़ों के घोटाले का दावा
मुख्यमंत्री फडणवीस का ऑपरेशन क्लीनअप: अवैध बांग्लादेशियों की ब्लैकलिस्ट तैयार, फर्जी दस्तावेज़ होंगे रद्द
उपराजधानी नागपुर में बेमौसम बारिश की दस्तक; सुबह से जारी झमाझम बारिश, मौसम विभाग ने 28 अक्टूबर तक येलो अलर्ट जारी किया
नागपुर: भाई दूज मनाने जा रहे पिता-पुत्री की सड़क हादसे में दर्दनाक मौत, खापरी मार्ग पर हुई दुर्घटना

अमरावती जिला बना किसान आत्महत्या का हॉटस्पॉट, चार महीने में 61 किसानों ने की आत्महत्या

अमरावती जिला बना किसान आत्महत्या का हॉटस्पॉट, चार महीने में 61 किसानों ने की आत्महत्या

अमरावती में किसानों की आत्महत्या की बढ़ती घटनाएं, चार महीने में 61 मौतें

अमरावती: महाराष्ट्र के अमरावती जिले में किसानों की आत्महत्या का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले चार महीनों में 61 किसानों ने आत्महत्या की, जबकि केवल पिछले महीने में 19 किसान अपनी जान दे चुके हैं। यह स्थिति तब और गंभीर हो गई है, जब जिले में पिछले साल भारी बारिश और सूखे के कारण फसल उत्पादन में भारी गिरावट आई, जिसका सीधा असर किसानों पर पड़ा।

किसानों और उनके संगठनों का आरोप है कि सरकार की लापरवाह नीतियों और कर्ज के बोझ के कारण किसान लगातार आत्महत्या के कदम उठा रहे हैं। प्राकृतिक आपदाएं, खराब फसलें, बैंक और साहूकारों से लिया गया कर्ज, कर्ज चुकाने का दबाव, शादी जैसे पारिवारिक दबाव और बीमारियां किसानों को मानसिक तनाव के कारण आत्महत्या के रास्ते पर ले जा रही हैं।

अमरावती जिले में जनवरी 2024 से लेकर अप्रैल 2024 तक 61 किसानों की आत्महत्या की घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें से 9 आत्महत्या के मामले को उचित पाया गया, जबकि 48 मामलों की जांच अभी भी जारी है। इस वर्ष के पहले चार महीनों में हुई इन घटनाओं से यह साफ़ है कि किसान किस तरह से कई मुद्दों से जूझ रहे हैं।

इन आत्महत्याओं के कारणों में प्राकृतिक आपदाएं, खराब फसलें, सूखा, कर्ज के जाल में फंसी जिंदगी और इलाज और पारिवारिक दबाव शामिल हैं। कई किसानों का कहना है कि वे लगातार मेहनत करने के बावजूद अपने परिवार का पालन-पोषण ठीक से नहीं कर पा रहे हैं, और कर्ज की वसूली का दबाव उनके लिए असहनीय हो गया है।

सरकारी नीतियों के प्रति नाराजगी और अधिकारियों की उदासीनता भी किसानों की आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं का एक अहम कारण मानी जा रही है। हालांकि, जिन 9 किसानों की आत्महत्या को उचित माना गया, उनमें से 4 परिवारों को आर्थिक सहायता मिल चुकी है, जबकि बाकी 5 परिवार अभी भी सरकारी मदद का इंतजार कर रहे हैं।

यह स्थिति गंभीर है और प्रशासन, सरकार और संगठनों को मिलकर किसानों के जीवन को संकटमुक्त करने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top