Gaganyaan Mission 2027: 2025 घोषित हुआ ‘गगनयान वर्ष’, ISRO प्रमुख वी. नारायणन बोले- अब तक 7200 परीक्षण पूरे
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष वी. नारायणन ने 2025 को ‘गगनयान वर्ष’ घोषित किया है। उन्होंने बताया कि इस मिशन के लिए अब तक 7,200 परीक्षण पूरे किए जा चुके हैं, जबकि लगभग 3,000 परीक्षण अभी बाकी हैं। गगनयान मिशन के तहत पहला मानव रहित मिशन इस वर्ष दिसंबर में ‘व्योममित्र’ नामक अर्ध-मानव रोबोट के साथ लॉन्च किया जाएगा। इसके बाद 2026 में दो और मानव रहित मिशन भेजे जाएंगे। मानव मिशन की योजना 2027 की पहली तिमाही में है, जिसमें तीन अंतरिक्ष यात्री 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर तीन से सात दिन का मिशन करेंगे।
गगनयान मिशन के तहत ISRO ने मानव-योग्य LVM3 प्रक्षेपण यान, क्रू एस्केप सिस्टम और पर्यावरण नियंत्रण एवं जीवन समर्थन प्रणाली (ECLSS) का विकास किया है। ECLSS की 90% तैयारियां पूरी हो चुकी हैं, जो अंतरिक्ष यात्रियों के लिए आवश्यक तापमान, आर्द्रता, वायु गुणवत्ता और दबाव बनाए रखने में मदद करेगी। इस मिशन के सफल होने पर भारत रूस, अमेरिका और चीन के बाद चौथा देश बनेगा जो स्वतंत्र रूप से मानव को अंतरिक्ष में भेज सकेगा।
ISRO के अध्यक्ष ने कोलकाता में आयोजित एक कार्यक्रम में बताया कि स्पैडेक्स मिशन के तहत कम ईंधन में सफल डॉकिंग प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन किया गया है। इसके अलावा, नासा-ISRO सिंथेटिक अपर्चर रडार (NISAR) उपग्रह और अन्य वाणिज्यिक एवं संचार उपग्रहों के प्रक्षेपण की योजना भी 2025 तक बनाई गई है।
गगनयान मिशन के तहत पहला मानव रहित मिशन दिसंबर 2025 में ‘व्योममित्र’ नामक अर्ध-मानव रोबोट के साथ लॉन्च किया जाएगा। इसके बाद 2026 में दो और मानव रहित मिशन भेजे जाएंगे। मानव मिशन की योजना 2027 की पहली तिमाही में है, जिसमें तीन अंतरिक्ष यात्री 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर तीन से सात दिन का मिशन करेंगे।
गगनयान मिशन के तहत ISRO ने मानव-योग्य LVM3 प्रक्षेपण यान, क्रू एस्केप सिस्टम और पर्यावरण नियंत्रण एवं जीवन समर्थन प्रणाली (ECLSS) का विकास किया है। ECLSS की 90% तैयारियां पूरी हो चुकी हैं, जो अंतरिक्ष यात्रियों के लिए आवश्यक तापमान, आर्द्रता, वायु गुणवत्ता और दबाव बनाए रखने में मदद करेगी। इस मिशन के सफल होने पर भारत रूस, अमेरिका और चीन के बाद चौथा देश बनेगा जो स्वतंत्र रूप से मानव को अंतरिक्ष में भेज सकेगा।
ISRO के अध्यक्ष ने कोलकाता में आयोजित एक कार्यक्रम में बताया कि स्पैडेक्स मिशन के तहत कम ईंधन में सफल डॉकिंग प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन किया गया है। इसके अलावा, नासा-ISRO सिंथेटिक अपर्चर रडार (NISAR) उपग्रह और अन्य वाणिज्यिक एवं संचार उपग्रहों के प्रक्षेपण की योजना भी 2025 तक बनाई गई है।
गगनयान मिशन के तहत पहला मानव रहित मिशन दिसंबर 2025 में ‘व्योममित्र’ नामक अर्ध-मानव रोबोट के साथ लॉन्च किया जाएगा। इसके बाद 2026 में दो और मानव रहित मिशन भेजे जाएंगे। मानव मिशन की योजना 2027 की पहली तिमाही में है, जिसमें तीन अंतरिक्ष यात्री 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर तीन से सात दिन का मिशन करेंगे।
गगनयान मिशन के तहत ISRO ने मानव-योग्य LVM3 प्रक्षेपण यान, क्रू एस्केप सिस्टम और पर्यावरण नियंत्रण एवं जीवन समर्थन प्रणाली (ECLSS) का विकास किया है। ECLSS की 90% तैयारियां पूरी हो चुकी हैं, जो अंतरिक्ष यात्रियों के लिए आवश्यक तापमान, आर्द्रता, वायु गुणवत्ता और दबाव बनाए रखने में मदद करेगी। इस मिशन के सफल होने पर भारत रूस, अमेरिका और चीन के बाद चौथा देश बनेगा जो स्वतंत्र रूप से मानव को अंतरिक्ष में भेज सकेगा।
ISRO के अध्यक्ष ने कोलकाता में आयोजित एक कार्यक्रम में बताया कि स्पैडेक्स मिशन के तहत कम ईंधन में सफल डॉकिंग प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन किया गया है। इसके अलावा, नासा-ISRO सिंथेटिक अपर्चर रडार (NISAR) उपग्रह और अन्य वाणिज्यिक एवं संचार उपग्रहों के प्रक्षेपण की योजना भी 2025 तक बनाई गई है।
गगनयान मिशन के तहत पहला मानव रहित मिशन दिसंबर 2025 में ‘व्योममित्र’ नामक अर्ध-मानव रोबोट के साथ लॉन्च किया जाएगा। इसके बाद 2026 में दो और मानव रहित मिशन भेजे जाएंगे। मानव मिशन की योजना 2027 की पहली तिमाही में है, जिसमें तीन अंतरिक्ष यात्री 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर तीन से सात दिन का मिशन करेंगे।
गगनयान मिशन के तहत ISRO ने मानव-योग्य LVM3 प्रक्षेपण यान, क्रू एस्क सिस्टम और पर्यावरण नियंत्रण एवं जीवन समर्थन प्रणाली (ECLSS) का विकास किया है। ECLSS की 90% तैयारियां पूरी हो चुकी हैं, जो अंतरिक्ष यात्रियों के लिए आवश्यक तापमान, आर्द्रता, वायु गुणवत्ता और दबाव बनाए रखने में मदद करेगी। इस मिशन के सफल होने पर भारत रूस, अमेरिका और चीन के बाद चौथा देश बनेगा जो स्वतंत्र रूप से मानव को अंतरिक्ष में भेज सकेगा।
ISRO के अध्यक्ष ने कोलकाता में आयोजित एक कार्यक्रम में बताया कि स्पैडेक्स मिशन के तहत कम ईंधन में सफल डॉकिंग प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन किया गया है।