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झुड़पी जंगल मामला: सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बताया ऐतिहासिक, बोले – 45 साल के संघर्ष को मिली राहत

झुड़पी जंगल मामला: सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बताया ऐतिहासिक, बोले – 45 साल के संघर्ष को मिली राहत

झुड़पी जंगल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: विदर्भ को मिली बड़ी राहत, मुख्यमंत्री फडणवीस ने बताया “45 वर्षों की लड़ाई का अंत”

नागपुर, 23 मई – सुप्रीम कोर्ट ने झुड़पी जंगल भूमि विवाद पर गुरुवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए नागपुर समेत पूरे विदर्भ क्षेत्र की 86,000 हेक्टेयर भूमि को वन क्षेत्र घोषित कर दिया है। अदालत ने 1980 के बाद इस जमीन पर किए गए आवंटनों को निरस्त करते हुए उन्हें अतिक्रमण करार दिया और दो वर्षों के भीतर इन निर्माणों को हटाने का निर्देश दिया है।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस फैसले का स्वागत करते हुए इसे “पिछले 45 वर्षों के संघर्ष को समाप्त करने वाला” करार दिया। नागपुर एयरपोर्ट पर मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “यह फैसला विदर्भ के विकास के रास्ते खोलता है और पर्यावरण तथा विकास के बीच संतुलन कायम करता है।”

भूमि विवाद की जड़ें और प्रभाव

फडणवीस ने बताया कि महाराष्ट्र गठन के बाद विदर्भ को जब राज्य में शामिल किया गया, तब उस क्षेत्र की कई भूमि राजस्व अभिलेखों में ‘झाड़ीदार जंगल’ के रूप में दर्ज थीं। मध्यप्रदेश ने अपने अभिलेखों में सुधार किया, लेकिन महाराष्ट्र में यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई, जिससे हजारों एकड़ जमीन विवादित बनी रही।

इस निर्णय के चलते अब नागपुर जैसे शहर में रेलवे स्टेशन, हाईकोर्ट और कई सरकारी इमारतों की जमीनें जो इस झुड़पी श्रेणी में आती थीं, अब कानूनी स्पष्टता पाएंगी।

झुग्गी बस्तियों और ग्रामीण विकास को राहत

फडणवीस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 1996 से पहले आवंटित भूमि को राहत देने का मार्ग प्रशस्त किया है, और झुग्गियों को मालिकाना हक देने की राज्य सरकार की मांग को भी मंजूरी मिल गई है। “नागपुर के एकात्मना नगर, रमाबाई आंबेडकर नगर जैसे इलाके अब मालिकाना अधिकार की प्रक्रिया में आ सकते हैं,” उन्होंने जोड़ा।

ग्रामीण क्षेत्रों में जरूरत के लिए बनाए गए मकानों को भी अब लीज़ पर देने या नियमित करने का रास्ता खुल गया है।

भविष्य की योजनाएं और नीति निर्माण

पूर्व मुख्यमंत्री ने बताया कि 2014-2019 के दौरान उनकी सरकार ने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी थी, जिसे पर्यावरण विशेषज्ञ समिति (CEC) द्वारा लगभग स्वीकार कर लिया गया है। “अब राज्य सरकार केंद्र से ज़मीनें मांग सकती है और योजनाएं आगे बढ़ा सकती है।”

मुख्यमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस फैसले से ना केवल पर्यावरण की रक्षा होगी बल्कि विदर्भ के लंबे समय से ठप पड़े विकास को भी गति मिलेगी।

 

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