क्या हेल्दी रहने के लिए वाकई जरूरी है 8 घंटे की नींद? नई स्टडी में सामने आया चौंकाने वाला सच
क्या रोजाना 8 घंटे की नींद वाकई जरूरी है? नई रिसर्च ने खोला सच्चाई का पर्दा
हम सभी ने बचपन से यह सुना है कि एक स्वस्थ जीवन के लिए रोजाना कम से कम 8 घंटे की नींद जरूरी है। लेकिन अब एक ताज़ा अध्ययन ने इस आम धारणा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। नई रिसर्च का कहना है कि “8 घंटे की नींद” का नियम सभी पर लागू नहीं होता और यह ज़रूरी नहीं कि हर किसी को इतना ही सोना चाहिए।
विशेषज्ञों के मुताबिक, नींद की जरूरत व्यक्ति की उम्र, जीवनशैली और स्वास्थ्य पर निर्भर करती है। कुछ लोग 6 घंटे की नींद में भी तरोताजा महसूस करते हैं, जबकि कुछ को 9 घंटे तक की नींद की जरूरत पड़ सकती है।
इस अध्ययन के बाद यह बात साफ होती है कि नींद की गुणवत्ता और गहराई भी बेहद अहम है, न कि केवल उसकी मात्रा। ऐसे में यह जरूरी है कि हम अपने शरीर की जरूरत को समझें, न कि केवल एक फिक्स घंटों की सलाह का पालन करें।
तो अगली बार जब कोई आपसे कहे कि “कम से कम 8 घंटे सोना चाहिए”, तो आप तथ्यों के साथ जवाब दे सकते हैं कि यह एक सार्वभौमिक नियम नहीं, बल्कि एक सामान्य गाइडलाइन मात्र है।
क्या वाकई हर किसी के लिए 8 घंटे की नींद जरूरी है? नई स्टडी ने खोला नींद से जुड़ा बड़ा राज
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली — क्या आपने कभी सोचा है कि हर दिन 8 घंटे की नींद लेना क्यों इतना ज़रूरी बताया जाता है? अब ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी की एक नई स्टडी इस लंबे समय से चले आ रहे ‘8 घंटे के नियम’ को चुनौती दे रही है। इस रिसर्च में दावा किया गया है कि हर व्यक्ति के लिए एक तय समय की नींद जरूरी नहीं होती — बल्कि यह आपकी उम्र, स्वास्थ्य, जीवनशैली और यहां तक कि आपके देश और संस्कृति पर भी निर्भर करता है।
अलग-अलग देशों में अलग नींद का पैटर्न
रिसर्च के तहत 20 देशों के करीब 5,000 लोगों के नींद पैटर्न का अध्ययन किया गया। आंकड़ों के अनुसार:
- कनाडा में लोग औसतन 7 घंटे 27 मिनट सोते हैं
- फ्रांस में नींद का औसत 7 घंटे 52 मिनट
- जबकि जापान में यह समय घटकर सिर्फ 6 घंटे 18 मिनट रह जाता है
रिपोर्ट में चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि कम नींद लेने वाले देशों में रहने वाले लोग जरूरी नहीं कि ज्यादा बीमार हों। यानी, 8 घंटे की नींद का नियम हर किसी के लिए अनिवार्य नहीं है — यह सिर्फ एक सामान्य गाइडलाइन है।
नींद की ज़रूरत: व्यक्ति विशेष के हिसाब से तय
नींद की आवश्यकता इंसान की शारीरिक स्थिति, काम के प्रकार और मानसिक तनाव पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए, जिन लोगों को स्लीप एपनिया, मोटापा या क्रॉनिक थकान जैसी समस्याएं हैं, उन्हें ज्यादा नींद की जरूरत हो सकती है। वहीं, कुछ लोग कम नींद में भी ऊर्जावान और स्वस्थ महसूस करते हैं।
क्यों जरूरी है नींद की गुणवत्ता?
नींद के दौरान शरीर खुद को रिपेयर करता है, इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और दिमाग तरोताजा होता है। लेकिन अगर आप नियमित रूप से ठीक से नहीं सोते, तो इसका असर धीरे-धीरे आपकी मानसिक और शारीरिक सेहत पर पड़ने लगता है।
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के एक अध्ययन के मुताबिक, नींद की कमी से तनाव, ब्लड शुगर असंतुलन, सूजन और यहां तक कि हृदय रोग, डायबिटीज और मोटापा जैसे खतरे भी बढ़ सकते हैं।
नींद पूरी नहीं होने के संकेत
अगर आपको ये लक्षण नजर आ रहे हैं, तो समझिए आपकी नींद अधूरी रह रही है:
- चिड़चिड़ापन और थकान
- ध्यान केंद्रित करने में परेशानी
- आंखों के नीचे काले घेरे
- दिनभर उबासी
- बार-बार बीमार पड़ना
- वजन में असामान्य बदलाव
किन वजहों से प्रभावित होती है नींद?
- बॉडी क्लॉक (सर्केडियन रिद्म) – शरीर की इंटरनल घड़ी नींद और जागने का समय तय करती है।
- गैजेट्स का अत्यधिक उपयोग – देर रात तक मोबाइल, लैपटॉप का इस्तेमाल नींद को बाधित करता है।
- खराब दिनचर्या – बेवक्त भोजन, कैफीन और अनियमित शेड्यूल नींद को प्रभावित करते हैं।
- तनाव और मानसिक दबाव – स्ट्रेस से निकलने वाला ‘कॉर्टिसोल’ हार्मोन नींद में बाधा डालता है।
कैसे सुधारें अपनी नींद?
- रोजाना एक तय समय पर सोने और जागने की आदत डालें
- सोने से पहले स्क्रीन टाइम कम करें
- कैफीन और भारी भोजन से रात में बचें
- शांत और आरामदायक माहौल बनाएं
- स्ट्रेस से राहत के लिए मेडिटेशन या हल्का योग करें
निष्कर्ष: हर किसी को एक जैसे घंटों की नींद नहीं चाहिए। असल बात यह है कि आपकी नींद कितनी गहरी, शांत और संतुलित है। जरूरी यह नहीं कि आप कितने घंटे सो रहे हैं — बल्कि ये कि आप सुबह उठकर कितना तरोताजा महसूस करते हैं।