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आसमान में दिखा दुर्लभ ‘हेलो इफेक्ट’, इंद्रधनुषी गोले में चमका सूरज – लोगों ने कहा ‘अद्भुत नजारा’

आसमान में दिखा दुर्लभ ‘हेलो इफेक्ट’, इंद्रधनुषी गोले में चमका सूरज – लोगों ने कहा ‘अद्भुत नजारा’

नागपुर में नजर आया दुर्लभ ‘सन हेलो’, इंद्रधनुषी गोले में चमका सूरज, लोग बोले – अद्भुत नजारा!

नागपुर: बुधवार को नागपुर के आसमान में एक दुर्लभ और हैरान कर देने वाला नजारा देखने को मिला। सूर्य के चारों ओर बना इंद्रधनुषी घेरा लोगों के लिए कौतूहल का विषय बन गया। खगोल विज्ञान में इस घटना को ‘सन हेलो’ (Sun Halo) कहा जाता है। यह दृश्य लगभग एक घंटे तक आसमान में बना रहा और जिसने भी इसे देखा, वह इसकी सुंदरता और अद्भुतता से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सका।

अमूमन चंद्रमा के चारों ओर ‘हेलो’ देखना अपेक्षाकृत सामान्य माना जाता है, लेकिन सूर्य के चारों ओर ऐसा घेरा दिखाई देना बेहद दुर्लभ होता है। यह चमकदार प्रभामंडल एक गोलाकार पट्टी के रूप में दिखाई देता है, जिसे वैज्ञानिक ‘सौर प्रभामंडल’ कहते हैं। इस दृश्य के पीछे एक वैज्ञानिक कारण है – जब आसमान में ऊंचाई पर मौजूद सिरस (Cirrus) बादलों में बर्फ के महीन क्रिस्टल सूर्य की किरणों को एक विशेष कोण से अपवर्तित करते हैं, तब यह प्रभाव उत्पन्न होता है।

कैसे बनता है ‘सन हेलो’?

सिरस बादल लगभग 20,000 फीट की ऊंचाई पर पाए जाते हैं। इनमें मौजूद षट्कोणीय आकार के बर्फ क्रिस्टल सूर्य की किरणों को दो बार अपवर्तित करते हैं, जिससे वे लगभग 22 से 50 डिग्री के कोण पर मुड़ जाती हैं। इस अपवर्तन के कारण सूर्य के चारों ओर एक रंगीन घेरा बनता है, जिसे ‘22 डिग्री हेलो’ भी कहा जाता है।

हर रंग की तरंगदैर्घ्य अलग होती है, जिससे यह घेरा अंदर से लाल और बाहर की ओर नीला दिखाई देता है। 22 डिग्री से कम कोण पर अपवर्तन न होने के कारण सूर्य के बिल्कुल पास का आकाश अपेक्षाकृत काला दिखाई देता है। इसी कारण यह घेरा और भी स्पष्ट नजर आता है।

हर व्यक्ति को अलग दिखता है हेलो

दिलचस्प बात यह है कि ‘सन हेलो’ हर व्यक्ति को थोड़ा अलग-अलग तरीके से नजर आता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यह प्रकाश का अपवर्तन प्रत्येक व्यक्ति के स्थान और दृष्टिकोण के अनुसार भिन्न होता है। यहां तक कि यदि दो लोग एक-दूसरे के पास खड़े होकर इसे देख रहे हों, तो भी वे वास्तव में थोड़ा अलग ‘हेलो’ अनुभव करते हैं।

यह खगोलीय घटना न केवल देखने में सुंदर होती है, बल्कि यह प्रकृति की जटिलता और वैज्ञानिक रहस्यों का शानदार उदाहरण भी है। बुधवार को नागपुर में इसे देखने वालों के लिए यह पल हमेशा के लिए यादगार बन गया।

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