“ये घड़ियाली आंसू?”: मंत्री विजय शाह की माफी पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार, मामला SIT को सौंपा गया
कर्नल सोफिया कुरैशी पर टिप्पणी मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त, MP मंत्री विजय शाह को लगाई फटकार, SIT जांच के आदेश
नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर की गई अभद्र टिप्पणी पर मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि एक जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति को बोलने से पहले सोच समझकर शब्दों का चयन करना चाहिए।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “क्या ये घड़ियाली आंसू हैं? मंत्री को अपनी भाषा पर नियंत्रण रखना चाहिए। ऐसी बयानबाज़ी किसी भी तरह से बर्दाश्त नहीं की जा सकती।” कोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए एक विशेष जांच दल (SIT) के गठन का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि यह SIT तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की होगी, जिनमें से कम से कम एक आईजी या डीजीपी रैंक का अधिकारी होना चाहिए। कोर्ट ने राज्य सरकार से अपेक्षा की है कि SIT जांच पूरी कर रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी जाए।
यह कदम उन मामलों में न्यायिक सक्रियता का संकेत है जहां सार्वजनिक पदों पर बैठे लोग अभद्रता की सीमाएं लांघते हैं। कोर्ट के इस फैसले से साफ है कि संवैधानिक संस्थाएं महिलाओं के सम्मान और गरिमा की रक्षा को लेकर गंभीर हैं।
कर्नल सोफिया पर टिप्पणी मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त, मंत्री विजय शाह को लगाई फटकार, SIT गठन के आदेश
नई दिल्ली | कर्नल सोफिया कुरैशी पर की गई विवादित टिप्पणी को लेकर मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने शाह की तीखी आलोचना की और स्पष्ट कहा कि सार्वजनिक पद पर बैठे व्यक्ति को बोलने से पहले सोच-समझकर व्यवहार करना चाहिए।
यह सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ द्वारा की गई, जहां विजय शाह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह पेश हुए। कोर्ट ने मंत्री की ओर से माफी की पेशकश पर भी तीखी टिप्पणी करते हुए पूछा – “आप किस तरह की माफी मांगना चाहते हैं? क्या ये सच्ची माफी है या फिर घड़ियाली आंसू?”
सुप्रीम कोर्ट के अहम निर्देश:
- तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की विशेष जांच टीम (SIT) गठित की जाएगी।
- SIT की अध्यक्षता आईजी रैंक के अधिकारी करेंगे।
- टीम में एक महिला आईपीएस अधिकारी की मौजूदगी अनिवार्य होगी।
- मध्य प्रदेश के डीजीपी को मंगलवार सुबह 10 बजे तक SIT गठित करने का निर्देश।
- SIT को पहली स्टेटस रिपोर्ट 28 मई तक सुप्रीम कोर्ट को सौंपनी होगी।
- विजय शाह की गिरफ्तारी पर फिलहाल रोक लगी रहेगी।
कोर्ट की तीखी टिप्पणी:
कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि इस प्रकार की भाषा अस्वीकार्य है और इससे देश की छवि धूमिल होती है। “पूरा देश आप पर शर्मिंदा है,” कोर्ट ने कहा। “यह देश कानून के शासन में विश्वास करता है, और यहां कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है, चाहे वह बड़ा हो या छोटा।”
हाईकोर्ट के फैसले पर भी स्पष्टीकरण
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि विजय शाह के खिलाफ हाईकोर्ट ने दोष सिद्ध नहीं किया है, बल्कि यह एक अंतरिम प्रक्रिया है। अदालत ने दोहराया कि सुप्रीम कोर्ट किसी के खिलाफ पूर्वाग्रह नहीं रखता, लेकिन सार्वजनिक पदों की गरिमा बनाए रखना आवश्यक है।
इस पूरे मामले ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि लोकतांत्रिक मूल्यों और महिला गरिमा की रक्षा के लिए न्यायपालिका कितनी सजग है। सुप्रीम कोर्ट का यह रुख न केवल मंत्री विजय शाह के लिए चेतावनी है, बल्कि सभी सार्वजनिक पदाधिकारियों के लिए भी एक संदेश है कि जिम्मेदारी के साथ भाषा और व्यवहार का संयम जरूरी है।