‘फिजिकल इंटीमेसी से बढ़ेगी नजदीकी…’ मधुबाला और दिलीप कुमार को करीब लाने के लिए डायरेक्टर ने दी थी चौंकाने वाली सलाह
मधुबाला-दिलीप कुमार के रिश्ते में आई दरार, निर्देशक ने दी थी पास लाने की अनोखी सलाह
गolden era के सबसे चर्चित रोमांस में से एक रहा दिलीप कुमार और मधुबाला का रिश्ता, जो जितना गहरा था उतना ही जटिल भी। दोनों सितारे अक्सर अपने रिश्ते को लेकर सुर्खियों में रहते थे, लेकिन एक फिल्म की शूटिंग के दौरान कुछ ऐसा हुआ कि दोनों के बीच दूरियां आ गईं।
हालांकि, उस दौर के एक फिल्म डायरेक्टर ने दोनों के रिश्ते में फिर से मिठास लाने की कोशिश की। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने मधुबाला को दिलीप कुमार के करीब आने के लिए एक खास सलाह दी — “फिजिकल इंटीमेसी बढ़ाने से भावनात्मक नजदीकियां भी बढ़ेंगी।”
यह किस्सा उस वक्त का है जब दिलीप और मधुबाला की ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री जितनी शानदार थी, ऑफ-स्क्रीन रिश्ते उतने ही तनावपूर्ण हो चुके थे। निर्देशक की यह सलाह उस रिश्ते को फिर से संजोने की एक कोशिश थी, जो कभी फिल्म इंडस्ट्री की सबसे चर्चित लव स्टोरी मानी जाती थी।
हालांकि ये कोशिश कितनी सफल रही, ये इतिहास है—but इस किस्से से एक बार फिर ये साबित होता है कि दिलीप कुमार और मधुबाला की प्रेम कहानी आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है।
मुगल-ए-आज़म के सेट पर टूट गया दिलीप कुमार और मधुबाला का रिश्ता, डायरेक्टर ने दी थी चौंकाने वाली सलाह
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली।
हिंदी सिनेमा के स्वर्णिम दौर की सबसे चर्चित प्रेम कहानियों में शुमार रही दिलीप कुमार और मधुबाला की लव स्टोरी में उतार-चढ़ाव की कोई कमी नहीं रही। ऑन-स्क्रीन इनकी केमिस्ट्री जितनी जबरदस्त थी, ऑफ-स्क्रीन रिश्ता उतना ही भावनात्मक और जटिल। 1951 में फिल्म तराना के सेट पर शुरू हुआ ये प्यार, धीरे-धीरे एक ऐसी दास्तां में बदल गया जिसने लाखों दिलों को छुआ। लेकिन अफसोस, यह रिश्ता लंबे समय तक टिक नहीं पाया।
दिलीप कुमार और मधुबाला की प्रेम कहानी का अंत फिल्म नया दौर के सेट पर हुआ विवाद था, जिसने दोनों के रिश्ते में ऐसी दरार डाली कि मुगल-ए-आज़म की भव्यता भी उन्हें फिर से एक नहीं कर सकी। दिलचस्प बात यह है कि इसी फिल्म के डायरेक्टर के. आसिफ ने उस वक्त एक चौंकाने वाली सलाह दी थी, जो आज भी फिल्मी गलियारों में चर्चा का विषय है।
दिलीप कुमार की आत्मकथा से खुलासा
दिलीप कुमार ने अपनी आत्मकथा “The Substance and the Shadow” में इस पूरे घटनाक्रम का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा कि मुगल-ए-आज़म के डायरेक्टर के. आसिफ, मधुबाला की भावनाओं से अच्छी तरह वाकिफ थे। मधुबाला ने उनसे निजी तौर पर अपने दिल की बात साझा की थी।
इसी के आधार पर के. आसिफ ने मधुबाला को सलाह दी कि वह दिलीप कुमार को फिजिकल इंटीमेसी के ज़रिए अपने करीब लाएं। दिलीप कुमार के अनुसार, “आसिफ ने खुद को एक माध्यम (कैटलिस्ट) की तरह पेश किया और उन्हें मुझसे कमिटमेंट लेने के लिए इस रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया।”
सम्मान और सिद्धांतों के टकराव में टूटा रिश्ता
दिलीप कुमार ने आगे लिखा कि वह एक ऐसे पारंपरिक और सिद्धांतवादी इंसान रहे हैं जो निजी फैसले भावनाओं में बहकर नहीं लेते। उनके मुताबिक, “एक पठान से वचन लेने का सबसे अच्छा तरीका, आसिफ के अनुसार, शारीरिक नज़दीकी बनाना था।”
हालांकि, यह कोशिश सफल नहीं हो सकी और दोनों के रास्ते अलग हो गए। मधुबाला ने 1960 में किशोर कुमार से शादी की, जबकि दिलीप कुमार ने 1966 में सायरा बानो को जीवनसाथी बनाया।
एक अधूरी मोहब्बत की दास्तां
आज भले ही ये प्रेम कहानी अतीत की बात हो गई हो, लेकिन इसके किस्से आज भी लोगों के दिलों में ज़िंदा हैं। यह कहानी सिर्फ दो स्टार्स की नहीं, बल्कि उस दौर की है जहां प्यार, समाज और सिद्धांतों के बीच जंग हुआ करती थी। दिलीप कुमार और मधुबाला का रिश्ता भले मुकम्मल न हो सका, लेकिन उनकी मोहब्बत की गूंज आज भी सिनेमा की गलियों में सुनाई देती है।