Headline
ओबीसी महासंघ अध्यक्ष बबनराव तायवाड़े ने डॉक्टर आत्महत्या मामले पर दुख व्यक्त किया, SIT गठित कर जांच की मांग की
BJP विधायक फुके का ‘कमीशन’ बम: भंडारा नगर परिषद में करोड़ों के घोटाले का दावा
मुख्यमंत्री फडणवीस का ऑपरेशन क्लीनअप: अवैध बांग्लादेशियों की ब्लैकलिस्ट तैयार, फर्जी दस्तावेज़ होंगे रद्द
उपराजधानी नागपुर में बेमौसम बारिश की दस्तक; सुबह से जारी झमाझम बारिश, मौसम विभाग ने 28 अक्टूबर तक येलो अलर्ट जारी किया
नागपुर: भाई दूज मनाने जा रहे पिता-पुत्री की सड़क हादसे में दर्दनाक मौत, खापरी मार्ग पर हुई दुर्घटना
धंतोली पुलिस की बड़ी कार्रवाई: एमडी पाउडर के साथ तीन आरोपी गिरफ्तार, ₹8.73 लाख का माल जब्त
काछीपुरा में BKC की तर्ज़ पर बनेगा भव्य व्यावसायिक केंद्र; नितिन गडकरी ने 20 अंतरराष्ट्रीय मार्केट और 4 स्पोर्ट्स सेंटर की घोषणा की
उपराजधानी नागपुर में मौसम का मिजाज बदला, शाम को झमाझम बारिश से गर्मी से मिली राहत
यूपी: संभल में चलती कार में लगी भीषण आग, यात्रियों ने कूदकर बचाई जान

“Chandrapur: ताडोबा में नयनतारा बाघिन को लेकर छोटा मटका और ब्रह्मा के बीच संघर्ष, ब्रह्मा की मृत्यु, छोटा मटका गंभीर रूप से घायल”

“Chandrapur: ताडोबा में नयनतारा बाघिन को लेकर छोटा मटका और ब्रह्मा के बीच संघर्ष, ब्रह्मा की मृत्यु, छोटा मटका गंभीर रूप से घायल”

चंद्रपुर: ताड़ोबा के खड़संगी बफर जोन में बाघों के बीच खतरनाक संघर्ष, एक बाघ की मौत, दूसरा घायल

चंद्रपुर जिले के ताड़ोबा के खड़संगी बफर जोन में गुरुवार रात एक खतरनाक घटना सामने आई, जब बाघिन नयनतारा को लेकर दो बाघों— छोटा मटका और ब्रह्मा— के बीच भयंकर संघर्ष छिड़ गया। इस लड़ाई में छोटा मटका ने ब्रह्मा को मार डाला, जबकि वह खुद गंभीर रूप से घायल हो गया।

सूत्रों के अनुसार, छोटा मटका और ब्रह्मा को नयनतारा के साथ घूमते हुए देखा गया था। कुछ दिन पहले पर्यटकों ने घायल छोटा मटका को देखा था, जिसके बाद वन विभाग ने उसका पीछा करना शुरू किया। तलाशी अभियान के दौरान, वन विभाग को ब्रह्मा का शव मिल गया। शव को पोस्टमार्टम के लिए चंद्रपुर भेज दिया गया है।

यह पहली बार नहीं है जब छोटा मटका ने किसी बाघ को मारा है। इससे पहले भी वह दो बाघों को अपनी जान से मार चुका है। पिछले तीन सालों में इस तरह के संघर्षों में अब तक आठ बाघों की जान जा चुकी है। चंद्रपुर में बाघों की बढ़ती संख्या और उनके बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा के चलते भविष्य में ऐसे संघर्ष और अधिक तीव्र हो सकते हैं।

वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के संघर्ष बाघों के लिए प्राकृतिक तरीके से अपने क्षेत्र का निर्धारण करने का एक तरीका है, लेकिन इससे बाघों की संख्या में नुकसान भी हो सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top