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CJI Bhushan Ramkrushn Gawai: आज संभालेंगे मुख्य न्यायाधीश का पदभार, जानें उनके जीवन और करियर से जुड़ी अहम बातें

CJI Bhushan Ramkrushn Gawai: आज संभालेंगे मुख्य न्यायाधीश का पदभार, जानें उनके जीवन और करियर से जुड़ी अहम बातें

जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई बने भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश, जानें उनके जीवन और करियर से जुड़ी अहम बातें

नई दिल्ली, 14 मई 2025 – भारत को आज नया मुख्य न्यायाधीश (CJI) मिल गया है। जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार ग्रहण कर लिया है। वे जस्टिस संजीव खन्ना की जगह यह जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, जो 13 मई को सेवानिवृत्त हो गए थे। जस्टिस गवई का कार्यकाल करीब छह महीनों का होगा, जो 24 नवंबर 2025 को समाप्त होगा।

कौन हैं जस्टिस गवई?

महाराष्ट्र के अमरावती में 24 नवंबर 1960 को जन्मे जस्टिस गवई ने नागपुर यूनिवर्सिटी से बी.ए. और एलएल.बी. की डिग्री हासिल की। उन्होंने 1985 में वकालत की शुरुआत की और 1987 से 1990 तक बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र प्रैक्टिस की। बाद में उन्होंने नागपुर बेंच में संवैधानिक और प्रशासनिक कानून में विशेषज्ञता हासिल की। वे नागपुर और अमरावती नगर निगमों के लिए स्टैंडिंग काउंसल भी रहे।

न्यायिक सफर

  • बॉम्बे हाईकोर्ट: 14 नवंबर 2003 को अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त हुए और 12 नवंबर 2005 को स्थायी न्यायाधीश बने।
  • सुप्रीम कोर्ट: 24 मई 2019 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदभार संभाला।
  • उन्होंने महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, नागपुर के कुलाधिपति और राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में भी अहम जिम्मेदारियां निभाई हैं।

ऐतिहासिक उपलब्धि

जस्टिस गवई देश के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश बने हैं। इससे पहले जस्टिस के. जी. बालकृष्णन इस पद तक पहुंचने वाले पहले दलित थे। इसके साथ ही, जस्टिस गवई भारत के पहले बौद्ध समुदाय से आने वाले मुख्य न्यायाधीश भी हैं। यह नियुक्ति भारतीय न्यायपालिका में सामाजिक समावेशिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है।

पारिवारिक पृष्ठभूमि

उनके पिता आर. एस. गवई एक प्रख्यात अंबेडकरवादी नेता थे, जो लोकसभा सांसद, केरल और बिहार के राज्यपाल भी रहे। पिता से प्रेरित होकर जस्टिस गवई ने वकालत की राह चुनी, हालांकि उनका प्रारंभिक सपना वास्तुकार बनने का था।

जस्टिस गवई की नियुक्ति न सिर्फ न्यायपालिका में विविधता को बढ़ावा देती है, बल्कि यह सामाजिक न्याय और समान अवसरों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।

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