पुरी रथयात्रा: पहली बार तैनात होंगे निजी सुरक्षा कर्मी, लोगों ने उठाए सवाल
पुरी जगन्नाथ रथयात्रा में पहली बार निजी सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की जाएगी, जो पार्किंग स्थलों पर वाहनों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। इसके लिए 14 लाख रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। हालांकि, इस निर्णय पर कुछ लोगों ने सवाल उठाए हैं और चिंता जताई है कि यह संभवत: एक बड़ा घोटाला हो सकता है। उनका कहना है कि स्थानीय युवाओं को रोजगार देने और पार्किंग क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरे लगाने से सुरक्षा बढ़ाई जा सकती है, साथ ही इस खर्च को भी कम किया जा सकता है।
पुरी रथयात्रा में पहली बार निजी सुरक्षा कर्मियों की तैनाती, 14 लाख रुपये का फंड आवंटित, सवाल उठे
भुवनेश्वर: पुरी में आयोजित होने वाली विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथयात्रा में इस वर्ष पहली बार निजी सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की जाएगी। ये सुरक्षाकर्मी रथयात्रा के दौरान विभिन्न पार्किंग स्थलों पर वाहनों की सुरक्षा करेंगे और उनकी निगरानी करेंगे। इसके लिए कुल 14 लाख 16 हजार रुपये का फंड आवंटित किया गया है।
रथयात्रा की तैयारी बैठक में इस फैसले को मंजूरी दी गई और इसके बाद पुरी पुलिस अधीक्षक (एसपी) ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) को एक पत्र भेजा है। बैठक के निर्णय के अनुसार, निजी फर्मों से सुरक्षा कर्मियों की भर्ती के लिए निविदा जारी करने की अनुमति मांगी गई है।
हालांकि, इस फैसले को लेकर कई हलकों से तीव्र प्रतिक्रियाएं आई हैं। कुछ लोगों का आरोप है कि निजी कंपनियों के नाम पर सुरक्षा कर्मियों को नियुक्त करके एक बड़ा वित्तीय घोटाला किया जा सकता है। उनका कहना है कि रथयात्रा के दौरान हजारों वाहन पुरी आते हैं और इनकी पार्किंग शहर के बाहरी इलाकों में की जाती है। ऐसे में पार्किंग स्थलों पर पुलिस द्वारा वाहनों की दिशा बदलने की व्यवस्था पहले से है, जिससे निजी सुरक्षा कर्मियों की आवश्यकता पर सवाल उठने लगे हैं।
वकील देवाशीष दास ने भी इस पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, “अगर पार्किंग में दो सुरक्षा गार्ड हैं, तो 10 स्थानों पर 20 गार्ड लगाए जाएंगे। क्या 20 सुरक्षाकर्मियों को 9 दिनों तक 14 लाख रुपये में तैनात किया जाएगा?” उनका सुझाव था कि इस खर्च को बचाने के लिए स्थानीय युवाओं को रोजगार देने का विकल्प चुना जा सकता है और पार्किंग स्थलों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने से सुरक्षा को और बेहतर किया जा सकता है।
एक सरकारी अधिकारी ने भी इसे लेकर चिंता जताई और कहा कि यह केवल दिखावा है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह निविदा केवल दिखाने के लिए होगी, जबकि वास्तविक सुरक्षा कर्मी उसी एजेंसी से तैनात किए जाएंगे, जिसे अधिकारी पहले से चाहते हैं। इस भारी धनराशि का गबन संगठन के माध्यम से किया जा सकता है, ऐसा भी अंदेशा व्यक्त किया गया है।
इस निर्णय पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन यह मुद्दा स्थानीय लोगों और विभिन्न संगठनों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।