नागपुर: उपराजधानी में बाल अपराध की बढ़ती चुनौती, 200 से अधिक कुख्यात नाबालिग अपराधी सक्रिय
नागपुर में बढ़ता बाल अपराध: नाबालिगों की गैंगवार से दहशत, हत्या से लूट तक में लिप्त 200 से अधिक बालगुन्हेगार
नागपुर: उपराजधानी नागपुर में अपराध का नक्शा तेजी से बदल रहा है। अब चोरी, लूटपाट और हत्या जैसे गंभीर मामलों में वयस्क नहीं, बल्कि नाबालिग अपराधियों की संलिप्तता तेजी से बढ़ रही है। बीते ढाई वर्षों में बाल अपराधियों की संख्या 200 से अधिक हो चुकी है, जो कानून व्यवस्था के लिए एक नई और गंभीर चुनौती बनकर उभरे हैं।
सुधारगृह से लौटकर फिर बना कातिल
चार महीने पहले एक कुख्यात अपराधी की हत्या के मामले में पकड़े गए 17 वर्षीय किशोर ने सुधारगृह से छूटने के बाद दोबारा अपराध की राह पकड़ ली। हाल ही में उसने तीन अन्य नाबालिग साथियों के साथ मिलकर एक प्रॉपर्टी डीलर की हत्या कर दी। हत्या के पीछे कारण था – 15 लाख रुपये की सुपारी। यह बाल अपराधी चार महीने में दूसरी हत्या कर चुका है, जिससे नागपुर पुलिस महकमे में हलचल मच गई है।
अपराध के हॉटस्पॉट बने नागपुर के कई इलाके
पुलिस जांच में सामने आया है कि नागपुर के कपिल नगर, जरीपटका, अजनी, हुडकेश्वर, सक्करदरा, नंदनवन, गिट्टीखदान और अंबाझरी क्षेत्र बालगुन्हेगारी के प्रमुख केंद्र बन चुके हैं। इन इलाकों में नाबालिगों के छोटे-छोटे गिरोह संगठित होकर लूट, चोरी, वसूली और अब हत्या जैसे अपराधों को अंजाम दे रहे हैं।
पुलिस की नई रणनीति, ‘चिह्नित निगरानी’ पर फोकस
पुलिस कमिश्नर डॉ. रविंद्रकुमार सिंगल के निर्देश पर अब इन कुख्यात नाबालिग अपराधियों की एक अलग सूची तैयार की गई है। पुलिस का फोकस अब इन बाल अपराधियों की गतिविधियों पर निगरानी रखने और पुनर्वास की योजना के साथ-साथ कठोर कार्रवाई करने पर है।
समाज और सिस्टम के लिए चेतावनी
यह बढ़ती बालगुन्हेगारी सिर्फ कानून व्यवस्था नहीं, बल्कि समाजिक ढांचे के लिए भी चेतावनी है। सवाल उठता है कि इतने कम उम्र में किशोर क्यों अपराध की राह पर चल रहे हैं? क्या उनके पुनर्वास के लिए मौजूदा प्रणाली पर्याप्त है?
अब पुलिस और प्रशासन के सामने दोहरी चुनौती है – इन अपराधियों पर रोक लगाना और उन्हें मुख्यधारा में वापस लाना।