संतकबीरनगर: आरा मशीन पर DFO की छापेमारी में मिली प्रतिबंधित लकड़ी, कार्रवाई से क्षेत्र में हड़कंप
संतकबीरनगर: बिसौवा गांव में आरा मशीन पर वन विभाग की छापेमारी, बड़ी मात्रा में अवैध लकड़ी बरामद
संतकबीरनगर के मेंहदावल क्षेत्र के बिसौवा गांव में वन विभाग ने शनिवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए एक आरा मशीन पर छापा मारा। डीएफओ के नेतृत्व में की गई इस छापेमारी में सागौन, नीम और महुआ की करीब 125 बोटा लकड़ी बरामद हुई, जो बिना किसी वैध परमिट के रखी गई थी।
अवैध रूप से संग्रहित इस प्रतिबंधित लकड़ी को लेकर मशीन संचालक पर करीब ढाई लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। वन विभाग की टीम ने मौके पर आरा मशीन को तत्काल प्रभाव से सील कर दिया है।
प्रारंभिक जांच में आशंका जताई जा रही है कि यह लकड़ी पास के फरेंदा जंगल से अवैध रूप से कटाई कर लाई गई है। वन विभाग ने पूरे मामले की विस्तृत जांच शुरू कर दी है और तस्करी के नेटवर्क की कड़ियां खंगालने में जुट गया है।
इस कार्रवाई के बाद इलाके में हड़कंप मच गया है, और वन विभाग की टीम ने संकेत दिए हैं कि आने वाले दिनों में और भी सख्त कार्रवाई हो सकती है।
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मेंहदावल में अवैध लकड़ी भंडारण का भंडाफोड़, आरा मशीन पर वन विभाग की छापेमारी से मचा हड़कंप
मेंहदावल (संतकबीरनगर): क्षेत्र के बिसौवा गांव स्थित एक आरा मशीन पर शनिवार को वन विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए भारी मात्रा में अवैध लकड़ी बरामद की। डीएफओ हरिकेश नारायण यादव के नेतृत्व में हुई इस छापेमारी में सागौन, नीम और महुआ की करीब 125 बोटा प्रतिबंधित लकड़ी मिली, जो बिना किसी वैध परमिट के रखी गई थी।
कार्रवाई के दौरान आरा मशीन की गतिविधियां संदिग्ध पाई गईं। जब गहन पूछताछ की गई, तो मशीन संचालक कोई वैध दस्तावेज नहीं दिखा सका। हालांकि, साखू लकड़ी के कुछ कागजात प्रस्तुत किए गए, लेकिन प्रतिबंधित लकड़ी को लेकर जवाब संतोषजनक नहीं था। डीएफओ के निर्देश पर मशीन को तत्काल प्रभाव से सील कर दिया गया है और संचालक पर लगभग ढाई लाख रुपये का जुर्माना तय किया गया है।
बरामद लकड़ी और संबंधित दस्तावेजों की फिलहाल जांच जारी है। इस कार्रवाई के बाद इलाके की अन्य आरा मशीनों में भी हड़कंप मचा हुआ है।
सूत्रों के अनुसार, फरेंदा जंगल से लकड़ी की अवैध कटाई कर उसे मेंहदावल क्षेत्र की आरा मशीनों तक पहुंचाया जा रहा है। इस तस्करी में स्थानीय पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं, जिससे पूरे तंत्र की निष्पक्षता पर उंगलियां उठ रही हैं।
गौरतलब है कि करीब तीन साल पहले भी मेंहदावल कस्बे में प्रतिबंधित लकड़ी के बड़े भंडारण का खुलासा हुआ था, जब संयुक्त टीमों ने कई ठिकानों से 20 लाख रुपये से अधिक मूल्य की लकड़ी जब्त की थी। कुछ समय तक तस्करी पर रोक लगी रही, लेकिन अब फिर से ऐसे मामलों का सामने आना वन विभाग और पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा रहा है।
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