स्कूलों में नियमों की उड़ रही धज्जियां, बच्चों के भारी बस्तों से बढ़ रही परेशानी; पेरेंट्स जरूर जानें बैग से जुड़े ये नियम
हरियाणा: स्कूल बैग नीति की अनदेखी, निजी स्कूलों में बच्चों पर भारी बस्तों का बोझ, बढ़ रही स्वास्थ्य समस्याएं
हरियाणा में लागू स्कूल बैग नीति 2020 का पालन निजी स्कूलों द्वारा सही तरीके से नहीं किया जा रहा है, जिससे छात्रों को भारी बैग उठाने की मजबूरी झेलनी पड़ रही है। नीति के अनुसार कक्षा पहली से दसवीं तक के छात्रों के लिए बैग का अधिकतम वजन तय किया गया है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर इन नियमों की अनदेखी हो रही है।
विशेषकर निजी स्कूलों में छात्रों के बैग का वजन तय सीमा से कहीं ज्यादा पाया गया है, जिससे बच्चों को पीठ, कंधे और रीढ़ से जुड़ी शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
अभिभावकों ने भी इस स्थिति पर चिंता जताई है और स्कूल प्रशासन से अपील की है कि बच्चों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए स्कूल बैग नीति का कड़ाई से पालन कराया जाए।
विशेषज्ञों के अनुसार अधिक वजन वाला बैग छोटे बच्चों के शरीर पर नकारात्मक असर डाल सकता है, जिससे लंबी अवधि में स्थायी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। शिक्षा विभाग से उम्मीद की जा रही है कि वह जल्द ही इस पर कार्रवाई करेगा और स्कूलों को नीति पालन के लिए बाध्य करेगा।
अंबाला: स्कूल बैग नीति की उड़ रही धज्जियां, मासूम कंधों पर भारी बोझ — स्वास्थ्य पर पड़ रहा बुरा असर
अंबाला कैंट: हरियाणा सरकार द्वारा वर्ष 2020 में लागू की गई स्कूल बैग नीति का पालन अब कागज़ों तक ही सीमित रह गया है। नीति के अनुसार पहली से 10वीं कक्षा तक के छात्रों के लिए बैग का अधिकतम वजन तय किया गया है, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।
दैनिक जागरण की टीम ने सोमवार को अंबाला कैंट के कुछ निजी स्कूलों का निरीक्षण किया, जहां छुट्टी के समय अभिभावक बच्चों के भारी बैग और पानी की बोतलें उठाए नज़र आए। पहली कक्षा के मासूम बच्चों के गले में लटकती बोतलें और पीठ पर लदे भारी बैग यह साफ दर्शा रहे थे कि स्कूल संचालक सरकार की गाइडलाइन को गंभीरता से नहीं ले रहे।
स्कूल बैग नीति के नियम क्या कहते हैं?
शिक्षा विभाग द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार:
- कक्षा 1-2: बैग का वजन 1.5 किलोग्राम से अधिक नहीं
- कक्षा 3-5: 2 से 3 किलोग्राम
- कक्षा 6-7: अधिकतम 4 किलोग्राम
- कक्षा 8-9: अधिकतम 4.5 किलोग्राम
- कक्षा 10: अधिकतम 5 किलोग्राम
इसके अलावा, नियमों में यह भी स्पष्ट है कि बच्चों के गले में पानी की बोतल नहीं होनी चाहिए।
अभिभावक बोले—पानी के लिए बोतल जरूरी है
बातचीत में कुछ अभिभावकों ने बताया कि वे बच्चों को पानी की बोतल मजबूरी में देते हैं क्योंकि स्कूल में गिलास जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। बच्चे जब पानी पीने जाते हैं तो कपड़े भीग जाते हैं, जिससे परेशानी होती है। इसके अलावा बैग में टिफिन, एक्स्ट्रा किताबें और नोटबुक्स होने के कारण वजन काफी बढ़ जाता है।
स्वास्थ्य पर गंभीर असर: डॉक्टर की चेतावनी
अंबाला कैंट सिविल अस्पताल की फिजीशियन डॉ. पल्लवी ने चेताया कि लगातार भारी बैग ढोने से छोटे बच्चों में पीठ और कंधे की समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। “बच्चे जब एक कंधे पर बैग लटकाते हैं, तो शरीर का संतुलन बिगड़ता है और कमर दर्द, झुकाव और बाद में सर्वाइकल की दिक्कतें भी शुरू हो सकती हैं,” उन्होंने बताया।
डॉ. पल्लवी ने बताया कि कई अभिभावक अपने बच्चों को कम उम्र में ही फिजियोथेरेपी के लिए अस्पताल ला रहे हैं, जो चिंता का विषय है। उनका मानना है कि बच्चों के कंधों पर बैग का बोझ न के बराबर होना चाहिए, ताकि उनके शारीरिक विकास में कोई बाधा न आए।
सरकार के नियमों की जरूरत सख्ती से पालन कराने की
निजी स्कूलों में नियमों की यह अनदेखी बच्चों के भविष्य पर भारी पड़ सकती है। शिक्षा विभाग और स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वे नियमित निरीक्षण करें और स्कूल बैग नीति के सख्त पालन को सुनिश्चित करें। वरना आज का यह बोझ, कल की बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन सकता है।