परमाणु क्षमता बढ़ाने की तैयारी में भारत, विदेशी निवेश के लिए आसान होंगे नियम; सरकार का नया प्लान सामने आया
भारत परमाणु ऊर्जा के दायित्व कानूनों को सरल बनाने की योजना में, अमेरिकी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए प्रस्तावित कदम
भारत अपनी परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए बड़े कदम उठा रहा है। सरकार परमाणु दायित्व कानूनों में बदलाव करने की योजना बना रही है ताकि उपकरण आपूर्तिकर्ताओं पर दुर्घटनाओं से संबंधित जुर्माने की सीमा को निर्धारित किया जा सके। यह कदम मुख्य रूप से अमेरिकी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए उठाया जा रहा है, जो असीमित जोखिम के कारण भारतीय परमाणु परियोजनाओं में निवेश से हिचकिचा रही हैं।
भारत का लक्ष्य 2047 तक अपनी परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता को 12 गुना बढ़ाकर 100 गीगावाट तक पहुंचाने का है। इस पहल से न केवल परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि भारत को वैश्विक ऊर्जा बाजार में भी मजबूत स्थिति प्राप्त होगी।
भारत परमाणु दायित्व कानूनों में संशोधन करेगा, अमेरिकी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए कदम उठाएगा
नई दिल्ली, रॉयटर्स: भारत अपने परमाणु दायित्व कानूनों में बदलाव करने की योजना बना रहा है ताकि विदेशी उपकरण आपूर्तिकर्ताओं को आकर्षित किया जा सके। सरकार का उद्देश्य परमाणु दुर्घटनाओं से संबंधित जुर्माने की सीमा तय करना है, जिससे अमेरिकी कंपनियों की चिंताओं को दूर किया जा सके, जो असीमित जोखिम के कारण भारतीय परमाणु परियोजनाओं में निवेश से पीछे हट रही हैं।
भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा तैयार किए गए मसौदे के अनुसार, 2010 के असैन्य परमाणु दायित्व क्षति अधिनियम में एक महत्वपूर्ण संशोधन किया जाएगा, जिसमें आपूर्तिकर्ताओं को असीमित उत्तरदायित्व के दायरे से बाहर किया जाएगा। इसके बाद, आपूर्तिकर्ताओं से मुआवजा केवल अनुबंध के मूल्य तक ही सीमित रहेगा, जो उनके लिए एक बड़ा राहत का कारण बन सकता है।
विश्लेषकों का मानना है कि इस बदलाव से भारत और अमेरिका के बीच व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, खासकर अमेरिकी कंपनियों जैसे जनरल इलेक्ट्रिक और वेस्टिंगहाउस इलेक्ट्रिक के लिए। ये कंपनियां अब परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निवेश करने में अधिक सहज महसूस करेंगी।
भारत का लक्ष्य 2047 तक अपनी परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता को 12 गुना बढ़ाकर 100 गीगावाट तक पहुंचाना है, और इस प्रस्तावित बदलाव से देश की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिल सकती है। साथ ही, यह कदम भारत और अमेरिका के बीच व्यापार को बढ़ाने की दिशा में भी अहम साबित होगा, जहां दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार 2030 तक 500 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को उम्मीद है कि जुलाई में शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र में इन संशोधनों को मंजूरी मिल जाएगी, जो भारत की परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में सुधार और अमेरिकी कंपनियों के निवेश को आकर्षित करने में मदद करेगा।