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314 करोड़ की टैक्स नोटिस पर नया खुलासा: पहले ही ईडी का समन झेल चुके हैं मजदूर चंद्रशेखर कोहाड़

नागपुर: 314 करोड़ रुपये की आयकर नोटिस की गूंज के बीच मजदूर चंद्रशेखर कोहाड़ के मामले में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। अब जानकारी सामने आई है कि कोहाड़ को आयकर विभाग के नोटिस से पहले ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा 2020 में समन भेजा गया था। विशाखापट्टनम स्थित ईडी कार्यालय से यह समन जारी किया गया था, लेकिन कोहाड़ ने उस समय उसका कोई जवाब नहीं दिया।

कोहाड़, जो मूलतः नागपुर के रहने वाले हैं और अब मध्य प्रदेश के मुलताई में रहते हैं, का दावा है कि उन्हें इस बात की भनक तक नहीं थी कि उनके खाते में करोड़ों रुपये जमा हो रहे हैं। बताया गया है कि 2011 से 2016 के बीच उनके एक सहकारी समिति खाते में बड़ी धनराशि जमा की गई, जिसके आधार पर आयकर विभाग ने उनसे 185 करोड़ रुपये की मांग की, जो ब्याज समेत बढ़कर 314 करोड़ रुपये हो गई।

गौरतलब है कि कोहाड़ को नोटिस उस समय दिया गया जब यह पाया गया कि नागपुर के इतवारी क्षेत्र की एक सहकारी ऋण समिति में उनके खाते में बड़ी मात्रा में लेन-देन हुआ है। कोहाड़ के अनुसार, वह सिर्फ दैनिक लेन-देन के लिए इस समिति का इस्तेमाल करते थे और उन्हें यह तक याद नहीं कि समिति का नाम “श्रीनाथ मंगलम” था या “मंगलम को-ऑपरेटिव”।

ईडी के समन में जिन 42 फर्जी कंपनियों का जिक्र था, उनमें से कई का संबंध विशाखापट्टनम में उजागर हुए 560 करोड़ रुपये के हवाला घोटाले से है। यह घोटाला महेश वड्डी नामक आरोपी से जुड़ा है, जो 2017 में गिरफ्तार हुआ था और कई संदिग्ध कंपनियों में निदेशक पद पर रहा है। कुछ कंपनियाँ अभी भी जांच के घेरे में हैं। इनमें से एक प्रमुख कंपनी, पद्मप्रिया स्टोन क्रशिंग प्राइवेट लिमिटेड, विशाखापट्टनम में स्थित है, जबकि अन्य का पंजीकृत कार्यालय कोलकाता, दिल्ली, पुणे और सिकंदराबाद में है।

हाल ही में कोहाड़ 121 किलोमीटर बाइक चलाकर मुलताई से नागपुर पहुंचे ताकि आयकर विभाग के सामने पेश हो सकें, लेकिन अवकाश होने के कारण संबंधित अधिकारी से उनकी मुलाकात नहीं हो सकी। विभाग के कर्मचारियों ने उन्हें कर आयुक्त के पास अपील करने की सलाह दी।

कोहाड़ ने यह भी दावा किया कि वह और 10-15 अन्य मजदूरों के खातों का सहकारी समिति द्वारा दुरुपयोग कर मनी लॉन्ड्रिंग के लिए इस्तेमाल किया गया। उनका कहना है कि वे किराये के घर में रहते हैं और रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

इस पूरे मामले ने सिस्टम की खामियों और गरीब तबके के लोगों के खातों का गलत इस्तेमाल करने वाले मनी लॉन्ड्रिंग गिरोहों की ओर ध्यान खींचा है। फिलहाल, कोहाड़ का भविष्य अब टैक्स और जांच एजेंसियों की अगली कार्रवाई पर टिका है।

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