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Delhi EV Policy: 48 करोड़ की सब्सिडी क्यों अटकी? सामने आई बड़ी वजह, AAP सरकार पर उठे सवाल

Delhi EV Policy: 48 करोड़ की सब्सिडी क्यों अटकी? सामने आई बड़ी वजह, AAP सरकार पर उठे सवाल

दिल्ली: EV सब्सिडी में देरी से मचा हड़कंप, 48 करोड़ की राशि अटकी, AAP सरकार की लापरवाही बनी वजह

नई दिल्ली।
वित्तीय वर्ष 2024-25 में दिल्ली में खरीदे गए इलेक्ट्रिक वाहनों की सब्सिडी अब तक हजारों उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंच पाई है। करीब 48 करोड़ रुपये की राशि लंबित है, जिससे उपभोक्ताओं में नाराज़गी देखी जा रही है।

इस देरी के पीछे पूर्ववर्ती आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार की प्रशासनिक लापरवाही को प्रमुख कारण माना जा रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, न केवल EV पॉलिसी के विस्तार में देरी हुई, बल्कि जरूरी दस्तावेजों की अधूरी प्रक्रिया ने भी सब्सिडी वितरण को प्रभावित किया।

परिवहन विभाग का कहना है कि पॉलिसी की वैधता समाप्त होने के बाद नए दिशा-निर्देशों में देरी हुई, जिससे सब्सिडी प्रोसेसिंग भी प्रभावित हुई है। इस मुद्दे का असर दिल्ली में इलेक्ट्रिक वाहनों के रजिस्ट्रेशन में गिरावट के रूप में भी देखा गया है।

इस पूरे मामले पर अब AAP सरकार की जवाबदेही को लेकर सवाल उठने लगे हैं। EV को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई नीति अब खुद संकट में दिखाई दे रही है।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली।
दिल्ली में इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर शुरू की गई सब्सिडी योजना इस समय संकट के दौर से गुजर रही है। वजह है पिछली आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार की लापरवाही, जिसके चलते वित्तीय वर्ष 2024-25 में खरीदे गए इलेक्ट्रिक वाहनों की करीब 48 करोड़ रुपये की सब्सिडी अब तक उपभोक्ताओं को नहीं मिल पाई है। इस स्थिति ने न केवल जनता को निराश किया, बल्कि दिल्ली के वायु प्रदूषण को कम करने के प्रयासों को भी प्रभावित किया है।

क्यों नहीं मिल पाई सब्सिडी?

परिवहन विभाग के अनुसार सब्सिडी जारी न होने के पीछे तीन प्रमुख कारण हैं:

  1. ई-वाहन नीति की अवधि समाप्त होने के बावजूद समय पर विस्तार आदेश न जारी होना।
  2. नीति को लेकर असमंजस, जिसके कारण कई उपभोक्ताओं ने सब्सिडी के लिए आवेदन ही नहीं किया।
  3. दस्तावेजों की कमी – बैंक खाते का आधार से लिंक न होना और मोबाइल नंबर का अपडेट न होना।

सरकार की नीति और जनता की उम्मीदें

दिल्ली सरकार ने अगस्त 2020 में पहली बार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए EV पॉलिसी लागू की थी। लेकिन बीते एक वर्ष में पॉलिसी को लेकर स्पष्टता की कमी और प्रशासनिक सुस्ती के चलते जनता को इसका लाभ नहीं मिल सका। वर्तमान में भाजपा सरकार के पास यह फैसला लंबित है कि क्या वह पिछली सरकार के दौरान खरीदे गए ई-वाहनों पर सब्सिडी देगी या नहीं।

आंकड़ों में EV सब्सिडी

  • 2020-21 से 2024-25 तक 2.19 लाख से ज्यादा ई-वाहनों को सब्सिडी व रोड टैक्स में छूट मिली।
  • सबसे ज्यादा सब्सिडी वर्ष 2022 में ₹93.28 करोड़ के रूप में दी गई।
  • वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2023-24 तक ₹180.36 करोड़ की सब्सिडी जारी हो चुकी है।
  • ई-ऑटो पर सीधे ₹30,000 और दोपहिया पर ₹5,000 प्रति किलोवाट बैटरी क्षमता के हिसाब से अधिकतम ₹30,000 तक की सब्सिडी निर्धारित है।

ई-वाहन रजिस्ट्रेशन में गिरावट

EV सब्सिडी में देरी का असर दिल्ली में ई-वाहनों के पंजीकरण पर भी पड़ा है।

  • 2020-21: 2.70%
  • 2021-22: 7.73%
  • 2022-23: 10.51%
  • 2023-24: 11.77%
  • 2024-25: 9.39%

स्पष्ट है कि सब्सिडी न मिलने से लोगों का रुझान इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर कम हुआ है। अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या वर्तमान सरकार इस अटकी हुई राशि को जारी करेगी और उपभोक्ताओं को राहत देगी या नहीं।

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