Gudi Padwa 2025: क्यों मनाया जाता है ‘गुड़ी पड़वा’? जानें इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
Gudi Padwa 2025: क्यों खास है यह पर्व? जानें इसका पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व
गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa 2025) हिंदू नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस पर्व की जड़ें सिर्फ नए साल के स्वागत तक सीमित नहीं हैं? इसकी परंपरा भगवान ब्रह्मा की सृष्टि रचना, भगवान राम के अयोध्या लौटने और मराठा साम्राज्य की गौरवगाथा से भी जुड़ी हुई है।
इस दिन महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में घरों के बाहर विशेष रूप से गुड़ी (ध्वज) फहराने की परंपरा है, जिसे समृद्धि और विजय का प्रतीक माना जाता है। छत्रपति शिवाजी महाराज ने भी इस दिन मराठा साम्राज्य की विजय का उत्सव मनाया था। यह पर्व न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है। आइए जानते हैं गुड़ी पड़वा से जुड़ी प्रमुख परंपराओं और इसकी महत्ता के बारे में।
Gudi Padwa 2025: नए साल की नई सुबह, जानिए इस पर्व का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। जब चैत्र मास की पहली सुबह सुनहरी किरणों से धरती रोशन होती है और घरों के बाहर रंग-बिरंगी रंगोली सजाई जाती है, तो समझ लीजिए कि गुड़ी पड़वा का शुभ अवसर आ गया है। यह पर्व सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि हिंदू नववर्ष की शुरुआत, समृद्धि और विजय का प्रतीक माना जाता है।
गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa 2025) का पर्व हर साल चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इस बार यह शुभ दिन 30 मार्च 2025 को आएगा। महाराष्ट्र, गोवा और देश के अन्य हिस्सों में इसे बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन घरों के बाहर गुड़ी (ध्वज) फहराने की परंपरा है, जिसे विजय और सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
गुड़ी पड़वा का महत्व
त्योहारों की रोशनी में हम अक्सर उनके गहरे अर्थ को नजरअंदाज कर देते हैं। गुड़ी पड़वा सिर्फ एक पारंपरिक उत्सव नहीं, बल्कि इसके पीछे ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व छिपा हुआ है। कहा जाता है कि इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी और भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी में इसे मनाने की परंपरा शुरू हुई।
इस पर्व से मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज की विजयगाथा भी जुड़ी हुई है, जिन्होंने इसी दिन हिंदवी स्वराज की नींव रखी थी। इस दिन को मंगलमय और शुभ मानते हुए लोग नए कार्यों की शुरुआत करते हैं और समृद्धि की कामना करते हैं।
गुड़ी पड़वा का यह पर्व न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह नए संकल्प, नई ऊर्जा और खुशहाली का संदेश देता है।