IPO की कमाई पर टैक्स: जानिए कितनी होती है दर और क्या कहते हैं नियम
IPO Taxation: जानिए आईपीओ से होने वाली कमाई पर कितनी टैक्स देनी होती है
शेयर बाजार में निवेशकों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है, और कई निवेशक अब प्राइमरी मार्केट यानी आईपीओ (Initial Public Offering) में भी निवेश करने लगे हैं। ऐसे में एक आम सवाल यह उठता है कि आईपीओ से हुई कमाई पर कितना टैक्स लगता है और इसके नियम क्या हैं। आइए, आईपीओ और प्राइमरी मार्केट से जुड़ी इस अहम जानकारी को समझते हैं।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। डिजिटलाइजेशन के बाद से शेयर बाजार में निवेशकों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है, और अब कई लोग प्राइमरी मार्केट में भी निवेश कर रहे हैं। ऐसे में अक्सर एक सवाल उठता है कि क्या आईपीओ (IPO) से होने वाली कमाई पर टैक्स लगता है और अगर हां, तो कितना टैक्स देना होता है।
लेकिन उससे पहले यह जानना जरूरी है कि आईपीओ (Initial Public Offering) और प्राइमरी मार्केट (Primary Market) क्या होते हैं और ये कैसे काम करते हैं।
आईपीओ क्या है?
आईपीओ (IPO) का मतलब है ‘इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग’। यह वह प्रक्रिया होती है, जिसमें कोई नई कंपनी शेयर बाजार में अपनी शुरुआत करती है। आईपीओ के जरिए कंपनी अपने शेयरों को पब्लिक को बेचकर पूंजी जुटाती है। यह शेयर निवेशक प्राइमरी मार्केट से खरीद सकते हैं।
सरल शब्दों में, जब एक नई कंपनी शेयर बाजार में लिस्ट होती है, तो उसके शेयर्स को आईपीओ के तहत बेचा जाता है। निवेशक सीधे कंपनी से इन शेयर्स को खरीदते हैं। इसके बाद ये शेयर्स सेकेंडरी मार्केट में उपलब्ध हो जाते हैं, जहां पर ये शेयर एक निवेशक से दूसरे निवेशक को खरीदी और बेची जाती है, और इस प्रक्रिया में कंपनी का कोई हिस्सा नहीं होता।
अगली बार जब आप आईपीओ में निवेश करें, तो यह जानना महत्वपूर्ण है कि इसमें आपको क्या टैक्स देना होगा, क्योंकि यह आपके निवेश पर असर डाल सकता है।
आईपीओ की कमाई पर टैक्स की जानकारी:
इनकम टैक्स एक्ट 1961 के तहत, विभिन्न प्रकार की कमाई पर टैक्स लगाया जाता है, जिसमें शेयरों की बिक्री और म्यूचुअल फंड्स भी शामिल हैं। शेयरों को एक एसेट माना जाता है, और कंपनी के शेयर्स फाइनेंशियल एसेट्स की श्रेणी में आते हैं।
नियमों के अनुसार, किसी भी एसेट को बेचने पर जो भी मुनाफा होता है, उस पर भारत के हर नागरिक को कैपिटल गेन टैक्स चुकाना पड़ता है। अब बात करते हैं कि आईपीओ से होने वाली कमाई पर आपको कितने टैक्स का भुगतान करना होगा। यह पूरी तरह इस बात पर निर्भर करता है कि आप शेयरों को कब बेचते हैं।
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स:
अगर आप आईपीओ के शेयरों को 12 महीने के अंदर बेचते हैं, तो आपको शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। उदाहरण के लिए, यदि आपने 28 मार्च 2025 को आईपीओ के शेयर खरीदे और उसे 1 साल के भीतर बेचा, तो आपको शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना होगा, जिसकी दरें सामान्यतः 15% होती हैं।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स:
अगर आप शेयरों को 12 महीने से अधिक समय तक होल्ड करते हैं और फिर बेचते हैं, तो आपको लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। इस स्थिति में, टैक्स दर 20% तक हो सकती है, साथ ही इसमें कुछ राहत भी मिल सकती है, जैसे कि मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए टैक्स की गणना करना।
इसलिए, आईपीओ के जरिए प्राप्त होने वाली कमाई पर टैक्स की दर इस बात पर निर्भर करती है कि आप शेयरों को कितने समय तक रखते हैं और कब उन्हें बेचते हैं।