अकोला: सोयाबीन के कम दामों और फसल कर्ज सीमा नहीं बढ़ने से किसानों में निराशा
अकोला: सोयाबीन, कपास और तूर के दामों में गिरावट, फसल कर्ज सीमा में कोई वृद्धि न होने से किसानों में असंतोष
पिछले पांच वर्षों से सोयाबीन, कपास और तूर की कीमतें स्थिर रहने के कारण किसानों को राहत नहीं मिली है। इस वर्ष सरकार ने फसल कर्ज की सीमा बढ़ाने का निर्णय लिया था, लेकिन इन तीन प्रमुख फसलों के लिए यह सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया। सरकार ने कर्ज सीमा तय करने के लिए पिछले पांच वर्षों के औसत दामों को आधार माना, लेकिन इन फसलों के दामों में कोई बढ़ोतरी न होने के कारण कर्ज सीमा भी स्थिर रखी गई।
हर साल की तरह, इस साल भी जिले के 1,06,708 किसान फसल कर्ज लेने के लिए आवेदन करेंगे, जिनमें से अधिकांश कर्ज के लिए 1 अप्रैल से बैंकों से कर्ज प्राप्त करेंगे। हालांकि, सोयाबीन की कीमत इस समय 3,000 से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच है, और पिछले सालों की तुलना में इसके दामों में गिरावट आई है।
जो किसान नियमित रूप से कर्ज चुकाते हैं, उन्हें हर साल 10% अधिक कर्ज मिलता है, लेकिन कर्ज सीमा में कोई वृद्धि नहीं होने के कारण उन्हें अधिक कर्ज नहीं मिल पा रहा। किसानों का कहना है कि वे अतिरिक्त कर्ज की मांग कर रहे हैं, लेकिन बैंक इसे मंजूर नहीं कर रहे हैं। इस साल के खरीफ सीजन के लिए कर्ज का वितरण अप्रैल से शुरू होगा, लेकिन फसल कर्ज के लक्ष्य की घोषणा अभी तक नहीं की गई है।