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बलिया में उगेगा ‘सोना’, चित्तू पांडेय की जमीन पर ONGC का तेल कुआं

बलिया में उगेगा ‘सोना’, चित्तू पांडेय की जमीन पर ONGC का तेल कुआं

बलिया में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में ओएनजीसी ने खोजा तेल का भंडार, बदलाव की उम्मीदें जगीं

बलिया जिले के गंगा कछार क्षेत्र, जो पहले बाढ़ और कम फसल की समस्या से जूझ रहा था, अब उम्मीद की नई किरण देख रहा है। यहां पर ओएनजीसी (ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन) ने कच्चे तेल का विशाल भंडार खोजा है और तेल निकालने के लिए खुदाई का काम शुरू कर दिया है। यह क्षेत्र, जो बाढ़ से बार-बार प्रभावित होता है, अब अपनी अर्थव्यवस्था में सुधार और रोजगार के अवसरों की उम्मीद कर सकता है।

यह खोज उस इलाके के लिए खास है जो स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चित्तू पांडेय से भी जुड़ा हुआ है। ओएनजीसी ने तेल निकालने के लिए अपने कुएं की खुदाई चित्तू पांडेय के गांव, वैना रत्तूचक में शुरू की है।

ग्राम प्रधान महेश यादव के अनुसार, यह इलाका गंगा के डूब क्षेत्र में आता है, जिससे हर साल बाढ़ के कारण फसलें नष्ट हो जाती हैं। हालांकि, अब तेल की खोज ने इलाके के विकास की संभावना को जन्म दिया है, जिससे न केवल आर्थिक सुधार की उम्मीद जताई जा रही है, बल्कि बाढ़ के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं का भी समाधान हो सकता है।

चित्तू पांडेय की भूमि पर ओएनजीसी ने शुरू की खुदाई, तेल का भंडार मिलने से इलाके का भविष्य बदला

बलिया जिले के गंगा कछार क्षेत्र में ओएनजीसी ने तेल का विशाल भंडार खोज निकाला है, जो चितबड़ा गांव से लेकर सागरपाली तक फैला हुआ है। खासकर वैना ग्राम सभा के करीब तीन किलोमीटर के क्षेत्र में कुआं खोदने के लिए सबसे उपयुक्त स्थान माना गया है। इस इलाके की अधिकांश जमीन अमर स्वतंत्रता सेनानी चित्तू पांडेय के परिवार के पास है, जिससे ओएनजीसी ने उनसे तीन साल के लिए साढ़े छह एकड़ जमीन का पट्टा किया है।

ओएनजीसी ने इस क्षेत्र में तेल निकालने के लिए अत्याधुनिक मशीनों से खुदाई शुरू कर दी है, जिनकी आपूर्ति असम से की गई है। इसके लिए ट्रेंड कर्मचारियों को अन्य राज्यों से बुलाया गया है। इस खोज के कारण न केवल बलिया, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के लिए नई संभावनाएं खुली हैं।

गंगा के कछार क्षेत्र का ऐतिहासिक महत्व भी है। स्वतंत्रता संग्राम के समय जब अंग्रेजी सरकार ने क्रांतिकारियों के घरों पर छापेमारी की, तो यह इलाका क्रांतिकारियों का सुरक्षित ठिकाना था। यहां पर गोपनीय बैठकों का आयोजन भी होता था। अब जब इसी कछार में तेल का भंडार मिला है, तो इस क्षेत्र की ऐतिहासिक और आर्थिक दोनों ही दृष्टियों से अहमियत और बढ़ गई है।

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